
नहीं थम रही खाद की मारामारी, किसानों की कतार व महगें दाम जारी
प्राइवेट दुकानों में खाद की कालाबाजारी का आऱोप, किसानों की जेब पर डाका, कलेक्टर के आदेश हुए दरकिनार
सिंगरौली ज़िले में इन दिनों किसान खाद संकट और कालाबाजारी से जूझ रहे हैं। सरकार और प्रशासन किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराने के लाख दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। प्राइवेट दुकानों पर खुलेआम कालाबाजारी हो रही है और दुकानदार कलेक्टर के आदेशों को ठेंगा दिखाकर किसानों की जेब पर डाका डाल रहे हैं।
किसानों को मजबूरी में खरीदनी पड़ रही महंगी खाद
खेतों में बुवाई का सीजन होने के कारण किसानों को खाद की सख्त जरूरत है। किसान सुबह से लाइन में लगकर खाद मिलने तक इंतजार करते हैं, लेकिन उन्हें उचित दर पर खाद मिलने के बजाय तिगुने दामों पर खरीदनी पड़ रही है। सरकारी रेट पर जहां एक बोरी खाद 270 रुपए की मिलनी चाहिए, वहीं प्राइवेट दुकानों पर किसानों से 500 से 600 रुपए वसूले जा रहे हैं। किसान मजबूरी में महंगे दाम पर खाद खरीदने को विवश हैं, क्योंकि समय पर खाद न मिलने पर फसल बर्बाद हो सकती है।
गनियारी में कालाबाजारी का बड़ा खुलासा
गनियारी क्षेत्र में स्थिति और भी भयावह हो गई। यहां खाद वितरण के लिए ट्रक उतारे गए, लेकिन दुकानदारों ने खुलेआम किसानों से अधिक दाम वसूले। जब किसानों ने विरोध किया तो दुकानदारों ने उन्हें ही चुप रहने की धमकी दे डाली। नाराज किसानों ने कहा कि जिला प्रशासन और कलेक्टर के आदेशों का दुकानदारों पर कोई असर नहीं है। खुलेआम मनमानी करके वे किसानों को लूट रहे हैं।
ग्रामीण अंचलों में और ज्यादा संकट
सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अंचलों में भी यही हाल है। कई गांवों में किसानों का कहना है कि खाद पहुंचने से पहले ही उसका आधा हिस्सा कालाबाजारी में बेच दिया जाता है। किसानों को अपने हिस्से की खाद लेने के लिए कई-कई दिन लाइन में लगना पड़ रहा है। कुछ किसानों ने आरोप लगाया कि दुकानदार बिना रसीद दिए ही पैसे वसूल रहे हैं और जब कोई आवाज उठाता है तो उसे लाइन से भगा दिया जाता है।
कलेक्टर के आदेश भी बेअसर
जिला कलेक्टर ने सख्त निर्देश दिए थे कि किसी भी दुकान पर खाद का अवैध भंडारण और कालाबाजारी न हो। बावजूद इसके, दुकानदारों पर प्रशासन की सख्ती का कोई असर नहीं दिख रहा है। ऐसा लग रहा है मानो दुकानदारों को प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त हो। किसान सवाल कर रहे हैं कि जब आदेश के बाद भी लूट जारी है तो आखिर इन दुकानदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
किसानों का आक्रोश बढ़ा
किसानों का कहना है कि यह स्थिति अगर जल्द नहीं सुधरी तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। उनका साफ कहना है कि जब खेतों के लिए खाद ही समय पर नहीं मिलेगा तो फसल कैसे बचेगी? सरकार की योजनाएं और कलेक्टर के आदेश सिर्फ कागजों में ही सीमित रह गए हैं। सिंगरौली में खाद की कालाबाजारी की यह तस्वीर साफ दिखा रही है कि प्रशासन की पकड़ कितनी कमजोर हो गई है। अब देखना यह होगा कि किसानों की इस परेशानी पर जिला प्रशासन सख्त कदम उठाता है या फिर किसानों को महंगी खाद खरीदने के लिए और मजबूर होना पड़ेगा।