
एक युद्ध सड़क दुर्घटना के विरुद्ध तीन दिवसीय संघर्ष यात्रा सम्पन्न
संयुक्त संघर्ष मंच ने सड़क दुर्घटना को लेकर 8 सूत्रीय मांग को लेकर जिला प्रशासन को सोपा ज्ञापन
सिंगरौली। जिले में लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं ने आम जनता का जीना दूभर कर दिया है। आए दिन हादसों में निर्दोष लोगों की जान जा रही है, लेकिन शासन-प्रशासन, अदानी जैसी कंपनियाँ और स्थानीय सांसद,विधायक जिला पंचायत सदस्य,जनपद सदस्य,सरपंच सब कुछ जानते हुए भी चुप बैठे हैं। जनता के गुस्से ,दुख-दर्द को महसूस करते हुएसंयुक्त संघर्ष मंच सिंगरौली ने सड़क सुरक्षा को लेकर संघर्ष यात्रा की शुरुआत किया। यह तीन दिवसीय यात्रा परसौना, खुटार, रजमिलान से होते हुए गड़ाखांड तक पहुँची और प्रथम चरण पूर्ण किया उपस्थित जिले का सक्षम अधिकारी को 8 सूत्रीय माँगपत्र सौंपा।
संयुक्त संघर्ष मंच के अभियान प्रभारी अंकित सिंह ने बताया कि सिंगरौली जिले में आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं लेकिन यहां के जिला प्रशासन यहां के जनप्रतिनिधि और कंपनी के दलाल लोगों की जिंदगी की चंद कीमत तय कर देते है, तो आप सभी से आग्रह है की कीमत तय करना बंद करें एक ठोस निर्णय लेकर वैकल्पिक व्यवस्था करें ताकि यहां की आम लोगों की जिंदगी बचाई जा सके। मंच ने कहा कि जिला प्रशासन हादसों पर सिर्फ आंकड़े गिन रहा है, लेकिन उचित कार्रवाई नहीं कर रहा।
सिंगरौली की सड़कों पर अपने कोयला वाहनों को बेलगाम दौड़ा रही है। मुनाफा अरबों का कमा रही है लेकिन सड़क मरम्मत, स्ट्रीट लाइट और सुरक्षा पर एक पैसा खर्च नहीं कर रही। क्षेत्र के विधायक (MLA) जनता की जान से जुड़े इस मुद्दे पर पूरी तरह मौन हैं। चुनाव के वक्त वादे किए जाते है जानता को भगवान बोला जाता हैं, लेकिन आज मौतों के सिलसिले पर चुप्पी साधे हुए हैं ,संगठन ने जिला प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों को सार्थक निर्णय लेने हेतु आग्रह किया है।
मंच की माँगें :
भारी वाहनों के लिए अलग स्थायी मार्ग का निर्माण। वर्तमान सड़कों की तत्काल मरम्मत और रखरखाव। हर सड़क पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था। कोयला ढुलाई की गति सीमा 20 किमी/घंटा। नो-एंट्री नियमों का कड़ाई से पालन। हादसे में घायल को निःशुल्क इलाज और ₹5 लाख मुआवज़ा। मृतक को ₹15 लाख मुआवज़ा + परिवार के एक सदस्य को नौकरी। परिवहन विभाग द्वारा नियमित चेकिंग और नशे में वाहन चलाने वालों पर कार्रवाई।
मंच की चेतावनी :
संयुक्त संघर्ष मंच ने ऐलान किया है कि यदि 8 दिनों में इन मांगों पर ठोस कार्यवाही नहीं होती है तो 28 अगस्त से बड़ा आंदोलन होगा। मंच ने साफ कहा कि—
“अब जनता की जान के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर सड़क हादसे नहीं रुके, तो प्रशासन, अदानी कंपनी और क्षेत्र के विधायक को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।”
जनता का फूटा गुस्सा :
गाँव-गाँव में लोगों का कहना है कि— “सड़कें जनता की हैं, लेकिन इन पर कब्ज़ा कंपनियों ने कर रखा है। प्रशासन और विधायक दोनों कंपनियों की जेब में बैठे हैं। हादसों में मर रहे लोग किसी को दिखाई नहीं देते।”