हाईकोर्ट ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका खारिज की, कहा— समिति की रिपोर्ट पर सरकार करे उचित कार्रवाई
ब्यूरो रिपोर्ट –
प्रयागराज। हाईकोर्ट :- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक बार फिर शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने यह आदेश वाराणसी निवासी विवेकानंद की अवमानना याचिका खारिज करते हुए दिया।
पूर्व में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 12 जनवरी 2024 को सरकार को चार सप्ताह के भीतर उच्चस्तरीय समिति गठित करने का आदेश दिया था, ताकि शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दिए जाने पर विचार किया जा सके। समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी, लेकिन उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया था।
इस देरी के खिलाफ याची विवेकानंद ने अवमानना याचिका दाखिल की थी। याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने तर्क दिया कि शिक्षामित्रों को वर्तमान में सम्मानजनक मानदेय नहीं मिल रहा है और उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतनमान के बराबर भुगतान किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने 18 सितंबर 2025 को हुई पिछली सुनवाई में अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा सहित अन्य अधिकारियों से अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। सोमवार को हुई सुनवाई में अपर मुख्य सचिव ने हलफनामा पेश किया, जिसमें कहा गया कि समिति ने 21 अक्तूबर को बैठक कर मानदेय वृद्धि के प्रस्ताव पर विचार किया था। हालांकि, यह मामला समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण कैबिनेट की स्वीकृति के लिए अग्रेषित कर दिया गया है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि जब समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, तो अब सरकार को उस पर उचित कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत ने अवमानना याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट निर्देश दिया कि राज्य सरकार समिति की सिफारिशों पर शीघ्र निर्णय लेकर शिक्षामित्रों के मानदेय संबंधी मुद्दे का निपटारा करे।
