मऊगंज के खटखरी गांव में 4.5 महीने के बच्चे की संदिग्ध मौत ने मचाई सनसनी, बिना पर्ची के बेचे गए कफ सिरप से मासूम ने तोड़ा दम; प्रशासन ने कब्र खुदवाकर कराया पोस्टमार्टम, मेडिकल स्टोर संचालक गिरफ्तार
संवाद सूत्र – मुस्ताक अहमद
सादिका पवित्र / मऊगंज (मध्य प्रदेश)।:-
मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले के खटखरी गांव से एक हृदयविदारक मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। यहां 4.5 महीने के एक मासूम की मौत कथित तौर पर जहरीली कफ सिरप पीने से हो गई। मां का बयान सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं—
“पता नहीं था कि जिसे मैं दवा समझकर अपने जिगर के टुकड़े को पिला रही हूं, वो उसकी जान ले लेगी।”
यह दर्दनाक घटना 24 अक्टूबर की है, जब श्वेता यादव नाम की महिला ने अपने बीमार बेटे को बाजार से खरीदी गई कफ सिरप पिलाई। सिरप पीने के महज 20 मिनट बाद ही बच्चे की सांसें थम गईं।
75 किलोमीटर दूर से पहुंची जांच टीम-
घटना की जानकारी मीडिया और स्वास्थ्य विभाग तक पहुंची तो हड़कंप मच गया। रीवा से करीब 75 किलोमीटर दूर खटखरी गांव में सादिका पवित्र की टीम ने जाकर जांच की। परिजनों ने बताया कि बच्चे को सिर्फ हल्की सर्दी-खांसी थी, लेकिन मेडिकल स्टोर वाले ने बिना किसी डॉक्टर की पर्ची के दवा दे दी।

“मेडिकल वाले ने कहा कि यह सिरप बच्चों के लिए सुरक्षित है, पर मेरा बच्चा घर पहुंचते ही दम तोड़ गया,” —मां श्वेता
कब्र से शव निकाला गया, मां का दिल फिर टूटा-
बच्चे की मौत के बाद परिवार ने शव को दफना दिया था, लेकिन 29 अक्टूबर को मामले की गंभीरता बढ़ने पर एसडीएम के आदेश पर कब्र खुदवाकर शव निकाला गया।
जब मिट्टी हटाई गई तो बच्चे के शरीर का कुछ हिस्सा गल चुका था। यह दृश्य देखकर मां श्वेता बेसुध हो गईं। शव को पहले हनुमना और फिर रीवा के संजय गांधी अस्पताल भेजा गया, जहां फोरेंसिक जांच जारी है।
बिना लाइसेंस चला रहा था मेडिकल स्टोर-
पुलिस जांच में सामने आया कि विनोद मेडिकल स्टोर का संचालक पिछले 20 सालों से बिना लाइसेंस के दवा बेच रहा था।
थाना प्रभारी अजय खोब्रगड़े ने बताया—
“बिना चिकित्सकीय परामर्श के बच्चे को सिरप देने की वजह से उसकी मौत हुई। आरोपी को गिरफ्तार कर केस दर्ज किया गया है।”
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि आरोपी कई सालों से खुद को डॉक्टर बताकर दवाएं दे रहा था, लेकिन प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया।
स्वास्थ्य विभाग ने की कार्रवाई-
मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएमएचओ संजीव शुक्ला ने मेडिकल स्टोर को सील कर जांच शुरू कर दी है।
सभी सैंपल जब्त कर लैब में भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि सिरप में कौन-सा जहरीला तत्व था।
इस घटना ने प्रदेश में जहरीली कफ सिरप से हुई 26 मौतों की लिस्ट में एक और मासूम की जान जोड़ दी है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: स्वास्थ्य तंत्र पर उठे सवाल-
स्थानीय भाजपा विधायक नागेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा— “प्रदेश में बिना जांच के दवाएं बिक रही हैं, यह गंभीर अपराध है। जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
मां का दर्द: “अब किसी और मां की गोद न उजड़े”-
अपने जिगर के टुकड़े को खो चुकी श्वेता आज भी उस दिन को याद कर टूट जाती हैं। “सोती हूं तो उसका चेहरा दिखता है। हाथ बढ़ाती हूं तो लगता है वह अब कभी नहीं लौटेगा। बस इतना चाहती हूं कि कोई और मां मेरी तरह न रोए।”
सवाल जिनका जवाब बाकी है-
आखिर बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर इतने सालों से कैसे चल रहा था? स्वास्थ्य विभाग की निगरानी प्रणाली कहां विफल रही?
जहरीली दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के लिए सरकार क्या ठोस कदम उठाएगी?
यह घटना सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का आईना है—जहां लापरवाही और भ्रष्टाचार की कीमत एक मासूम की जिंदगी बन गई।
सरकार के लिए यह चेतावनी है कि जहरीली दवाओं के कारोबार पर लगाम न कसी गई तो ऐसी माताएं बार-बार अपनी गोद खाली करती रहेंगी।
