भोर होते ही सिरसा, कठौली, बिशेनपुर, परानीपुर समेत विभिन्न घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब; आकर्षक सजावट और सुरक्षा के बीच भक्तिमय माहौल में संपन्न हुआ पर्व
सुरेश चंद्र मिश्रा
प्रयागराज (मेजा) |- मंगलवार की भोर प्रयागराज के मेजा तहसील क्षेत्र में आस्था और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला। चार दिनों तक चले छठ महापर्व का विधिवत समापन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हुआ। सिरसा, कठौली, बिशेनपुर, परानीपुर, नरवर, महेवा और उमापुर सहित विभिन्न घाटों पर हजारों की संख्या में व्रती महिलाएं और श्रद्धालु एकत्र हुए।

सूर्योदय से पहले ही घाटों पर “छठ माता की जय” और “सूर्य देवता की जय” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में, सिर पर सूप में फल, ठेकुआ, गन्ना और प्रसाद लिए घाटों की ओर निकलीं। उनके साथ चल रहे परिवारजन और ग्रामीणों ने भी इस पावन दृश्य को देखकर श्रद्धा से सिर झुका लिया।
सजावट और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम ,-
छठ पर्व के अवसर पर घाटों को आकर्षक रूप से सजाया गया था। जगह-जगह रोशनी की जगमग व्यवस्था ने माहौल को और अधिक भव्य बना दिया। प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं बरती—रातभर पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी घाटों पर मुस्तैद रहे, ताकि किसी श्रद्धालु को असुविधा न हो।
नगर पंचायत अध्यक्ष विपिन कुमार उर्फ लखन केसरी ने स्वयं नाव से घाटों की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया। उन्होंने साफ-सफाई, रोशनी और श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।
जनप्रतिनिधियों ने भी किया पूजन-अर्चन ,-
बिशेनपुर परानीपुर घाट पर भावी प्रधान प्रत्याशी महीप सिंह ने अपनी पत्नी के साथ छठ माता की पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा कि “छठ केवल पूजा नहीं, बल्कि यह अनुशासन, स्वच्छता और एकता का प्रतीक पर्व है।”
भक्ति और आस्था में डूबा रहा पूरा क्षेत्र –
व्रती महिलाओं ने पारंपरिक लोकगीतों के साथ सूर्यदेव की आराधना की। हर घाट पर महिलाओं की मधुर आवाजें और घाटों पर गूंजते मंत्रों ने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय वातावरण में बदल दिया।
सुबह के समय जब सूर्य की पहली किरणें जल पर पड़ीं, तो महिलाओं ने सपरिवार अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि और मंगल की कामना की। चार दिनों तक चले इस महापर्व के समापन के साथ ही पूरा मेजा क्षेत्र आस्था और उल्लास से सराबोर रहा !
छठ महापर्व का यह भव्य आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि सामुदायिक एकता, स्वच्छता और अनुशासन का भी संदेश देता दिखा। प्रशासन, स्थानीय प्रतिनिधियों और श्रद्धालुओं के सहयोग से यह पर्व पूरी गरिमा और शांति के साथ सम्पन्न हुआ।
