
संयुक्त संघर्ष मंच की पांचवें दिन की संघर्ष यात्रा सम्पन्न
जिला प्रशासन द्वारा नो एंट्री के नए आदेश पर संशोधन के लिए निकाली गई तिरंगा संघर्ष यात्रा
सिंगरौली। जिले में बढ़ रहे सड़क हादसों के रोकथाम के लिए संयुक्त संघर्ष मंच के तत्वाधान में परसौना से गड़ाखांड तक तीन दिवसीय तिरंगा संघर्ष निकली गई।प्रथम चरण के यात्रा के समापन के बाद ही जिला प्रशासन सिंगरौली द्वारा भारी वाहनो के शहर में प्रवेश का नया आदेश पारित कर दिया जाता है जो की जनहित में नहीं है।जिला प्रशासन के इस आदेश में संशोधन के लिए संयुक्त संघर्ष मंच ने दुधिचुआ से नवजीवन विहार तक दो दिवसीय तिरंगा संघर्ष यात्रा निकाल कर विरोध किया गया।
संयुक्त संघर्ष मंच द्वारा पहले दिन यह संघर्ष यात्रा दुधिचुआ से माजन मोड तक सुबह 09 बजे से निकाली गई,यह यात्रा दुधिचुआ से जयंत निगाही,नवानगर,अमलोरी मोड़ होते हुए माजन मोड़ पहुंची,इस यात्रा में मंच के सभी साथी एवं आम जनमानस की सराहनीय उपस्थिति रही। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान आदेश की वजह से सुबह एवं दोपहर स्कूल जाने -आने वाले बच्चो को इन भारी वाहनो के चलने से अनेकों प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल बस,ऑटो,मोटर साइकिल, निजी कार से बच्चे विद्यालय आते जाते है जिस कारण इन दोनों समय में सड़क पर वैसे भी जाम की स्थिति बनी रहती है यदि भारी वाहनो का संचालन भी हुआ तो घटना दुर्घटना की संभावना बढ़ जाएगी,इसलिए जिला प्रशासन से आग्रह है कि आदेश में संशोधन किया जाए। दूसरे दिन पुनः संयुक्त संग्रह मंच के द्वारा संघर्ष यात्रा माजन मोड़ से नवजीवन विहार तक निकाली गई।यह यात्रा माजन मोड़ से शुरू होकर बिलौंजी ताली,वैढ़न,ढोटी,विंध्यनगर होते हुए नवजीवन विहार पहुंची।
संयुक्त संघर्ष मंच ने कहा है कि जिला प्रशासन सिंगरौली से विनम्र आग्रह है कि जनहित को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंधित समय पर पुनः विचार करते हुए अपने आदेश को संशोधित कर नया आदेश पारित करने का कष्ट करे,जिससे छात्रों एवं आम जनमानस की जिंदगी सुरक्षित हो सके। वर्तमान प्रतिबंधित आदेश को संज्ञान में लेते हुए पारित आदेश को निरस्त कर नया आदेश पारित किया जाएगा जो आम नागरिकों एवं स्कूली बच्चो के हित में होगा। संयुक्त संघर्ष मंच ने दो दिवसीय यात्रा में आम जनमानस के साथ जिला प्रशासन से आग्रह किया गया है की वर्तमान आदेश में संशोधन कर जल्द ही नया आदेश पारित करने की कृपा करें अगर ऐसा नहीं होता है तो इस स्थिति में संगठन एक उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा जिसके संपूर्ण जवाब दे ही जिला प्रशासन सिंगरौली की होगी।