एनएच-39 की राह पर बरगवां आरओबी का निर्माण, तय सीमा हुई समाप्त
दो माह पहले समाप्त हो चुकी है तय समय सीमा, इस वर्ष भी चालू होने के आसार नहीं
सिंगरौली। दो साल पहले 5 जुलाई 2023 को लोक निर्माण विभाग सेतु रीवा संभाग और संविदा कंपनी पीआरए प्रोजेक्ट एंड इंफ्रा लि. के अधिकारियों ने बरगवां में 24 करोड़ की लागत से 24 महीने में आरओबी बनाने का कार्य शुरू किया था। जिसके मुताबिक दो महीने पहले ही निर्माण कार्य पूरा करने की अवधि समाप्त हो गयी और निर्माण कार्य 60 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो पाया है। जिस रफ्तार से आरओबी पुल का निर्माण किया जा रहा है, उससे तो इसके इस वर्ष चालू होने के आसार नहीं लग रहे हैं। वजह पीडब्ल्यूडी सेतु रीवा संभाग के अधिकारियों ने पीआरएल को काम सौंपकर निरीक्षण करना भी जरूरी नहीं समझा है। जिसे निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है उन इंजीनियर साहब द्वारा एक पुलिया तक नहीं बनवाई गयी है। उनके अनुभव का खामियाजा अभी और कितने दिन तक यहां के लोगों को भुगतना पड़ेगा। यह निर्माणदायी और निर्माणकर्ता दोनों के बस की बात नहीं रह गयी है। रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) निर्माण कार्य मझौली व बरगवां के बीच रेलवे क्रॉसिंग में बरगवां डगा के बीच किया जा रहा है। इस पुल का बनाए जाने को लेकर डेढ़ दशक से मांग की जा रही थी, लेकिन जनप्रतिनिधियों का कोई अहम योगदान नहीं रहा और जब इसे स्वीकृति मिल गयी, तभी अपने प्रयास सामने लाए।
अधिकारियों की लापरवाही बनी, निर्माण में देरी की वजह !
निर्माण कार्य के दो वर्षों के दौरान किसी ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि आखिर इसके निर्माण में देरी की वजह क्या है? क्योंकि सीधे तौर पर इस पुल के निर्माण में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की लापरवाही बनी हुई है, जो काम पीडब्ल्यूडी को करके साइट देनी चाहिए थी, वह अभी दो साल भी नहीं कर पाए हैं। बार-बार ध्यानाकर्षण के बाद भी अब तक बिजली के पोल हटा पाए, न नाली बना पाए। लोगों के आने-जाने के लिए दोनों तरफ 6-6 मीटर की सर्विस रोड और डेढ़-डेढ़ मीटर की नाली सुरक्षित करके दोनों ओर बनाना था। पूरी बारिश पुल के नीचे पानी का तालाब भरा रहा। इन सबको छोड़कर पीआरएल ब्रिज को बनाने में जुटी हुई है। वह भी रेलवे क्रॉसिंग से सीधी की ओर के पिलर व स्ट्रक्चर का ही निर्माण किया जा रहा है।
पुरानी नालियों को खोजकर निकाला बारिश का पानी
बरगवां में पुल बनाने वाली संविदा कंपनी ने रोड और नाली बनाना जरूरी नहीं समझा। वजह पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने साइट ही मुहैया नहीं करायी। बारिश का पानी भी निकालने के लिए संविदा कंपनी ने बरगवां में एक दशक पहले एनसीएल के द्वारा सीएसआर मद से बनाई गई नालियों को खोजकर जेसीबी से साफ कराया और पानी बहाया, लेकिन अपनी नाली स्वयं नहीं बनायी है, जिसकी वजह से हर समय लोगों की आवाजाही में समस्या आ रही है।
एनएच-39 की राह पर आरओबी
जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे कि विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और काम के प्रति अरुचि को देखकर यह कहा जा सकता है कि बरगवां आरओबी निर्माण कार्य भी एनएच-39 की तर्ज पर है। यदि इस पर जिला प्रशासन के द्वारा मौजूदा परिस्थतियों की तरह हस्ताक्षेप नहीं किया गया तो यह इस वर्ष तो दूरी अगले वर्ष भी पूरा नहीं हो पायेगा। लेटलतीफी का आलम है कि दो वर्ष में पूरा बनकर तैयार हो जाने की बजाय अभी आधे पर लटका हुआ है।
बीच में बनायेगा रेलवे
पीआरएल प्रोजेक्ट को दोनों तरफ का कार्य करना है। इन दोनों के बीच और रेलवे लाइन के ठीक ऊपर 60 मीटर का पुल रेलवे द्वारा बनाया जाना है। जब तक रेलवे अपना काम पूरा नहीं कर लेता है, तब दूसरी तरफ पुल का निर्माण भी नहीं किया जा सकता है। रेलवे अपने हिस्से का काम पूरा करने में देरी कर सकता है तो क्या पीआरएल को भी उसी तर्ज पर काम करना है। संविदा कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर को भी साइट पर देखरेख करते नहीं देखा जा रहा है। कंपनी को न अपनी क्रेडिट की चिंता है और न ही वित्त प्रबंधन की। पीडब्ल्यूडी के समय किए गये काम का भुगतान भी कंपनी के एमडी दिल्ली में बैठकर करा रहे हैं।
