भास्कर मिश्रा को 1 लाख के मुचलके व शर्तों के साथ मिली जमानत
शिकायतकर्ता विधायक देवसर ने कहा दे दी जाये जमानत
सिंगरौली। एससी/एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किये गये कांग्रेस नेता भास्कर मिश्रा को सोमवार को जमानत मिल गई। भास्कर को जमानत वैढ़न में विशेष न्यायाधीश एक्ट्रोसिटीज खालिद मोहतरम अहमद के न्यायालय में हुई सुनवाई दौरान दी गई, वह भी बाकायदा एक लाख रुपये के मुचलके और कुछ शर्तों के साथ। दरअसल, इस मामले में देवसर विधायक राजेन्द्र मेश्राम के द्वारा कोतवाली वैढ़न में भास्कर मिश्रा पर आरोप लगाया गया था कि उन पर जातिगत टिप्पणी की गई है। जिस पर कोतवाली पुलिस ने 25 सितंबर को भास्कर के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, सोमवार को विशेष न्यायालय में इस प्रकरण पर सुनवाई दोपहर करीब 1 बजे शुरू हुई। सुनवाई के दौरान भास्कर मिश्रा जेल से ऑनलाइन जुड़े थे। ये सुनवाई करीब 45 मिनट तक चली और जमानत की प्रक्रिया शाम तक में पूर्ण हुई। सुनवाई में किसने क्या कहा? इस मामले की सुनवाई के संबंध में प्रभारी डीपीओ ने बताया कि न्यायालय ने फरियादी (विधायक देवसर) से पूछा तो उन्होंने कहा कि भास्कर मिश्रा मेरे छोटे भाई हैं और मेरा उनसे कोई राजनीतिक द्वेष भी नहीं है। अमर्यादित व जातिगत बातों से कानून का उल्लंघन न होने पाये, यही मेरी मंशा थी। इन्हें सजा दिलाने की कोई मंशा नहीं थी, इसलिए अगर न्यायालय इन्हें जमानत देता है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। वहीं, भास्कर ने अपना पक्ष रखते हुए कहाकि उन्होंने देवसर विधायक के लिए जो बाते कहीं थीं, वह जनता का दर्द था न कि राजेन्द्र मेश्राम के लिए। इस पर व्यायालय की ओर से कहा गया कि चूंकि देवसर विधानसभा की सीट एससी/एसटी कोटे के लिए रिजर्व है, तो ऐसे में सभी जानते हैं कि वहां का विधायक एससी-एसटी वर्ग से है, इसलिए उक्त सीट के विधायक के संबंध में कोई अमर्यादित टिप्पणी करना भी उनकी जाति की ओर इंगित करता है। इसलिए यहां कानून का उल्लंघन माना जायेगा।
प्रभारी डीपीओ संजीव कुमार सिंह ने इस प्रकरण के संबंध में बताया है कि वैढ़न कोतवाली पुलिस ने 25 सितंबर को भास्कर के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था और पुलिस ने न्यायालय को गिरफ्तारी की वजह आरोपी के पूर्व आपराधिक प्रकरणों पर भी संज्ञान लेना बताया था। इस एक्ट में पीड़ित को न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखने का प्रावधान है, जिसके लिये नोटिस की तामीली पीड़ित के द्वारा की जाती है, लेकिन विधायक की अनुपलब्धता के कारण नोटिस की तामीली में देरी हुई और बीच में पड़े अवकाशों में कोर्ट भी बंद रहा। फिर अब जब विधायक देवसर के द्वारा नोटिस की तामीली की गई, तब विशेष न्यायालय में इस प्रकरण की सुनवाई सोमवार को हुई।
इन शर्तों पर दी जमानत
प्रभारी डीपीओ ने बताया कि मामले में अपराध सिद्ध होने पर भास्कर ने न्यायालय के समक्ष अपने अपराध को स्वीकारा। फिर से ऐसी पुनरावृत्ति न करने और कानून का उल्लंघन न करने का भरोसा भी अदालत को दिया। जिस पर न्यायालय ने भी उन्हें हिदायत दी कि आप राजनीति मंच पर अपनी बातें रखें, लेकिन भाषा का प्रयोग मर्यादित तथा कानून के दायरे में करें। इन शर्तों के आधार पर एक लाख रुपये के मुचलके पर ये जमानत दी जा रही है। जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद भास्कर मिश्रा के समर्थकों ने उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया और नारेबाजी करते हुए शहर में जुलूस निकाला। जुलूस में बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और पदाधिकारी तथा भास्कर मिश्रा के समर्थक शामिल थे।
