जयंत परियोजना के कांटा नंबर-4 से ओवरलोड कोयला का खेल
अधिकारियों की सह पर काँटा बाबू की मिलीभगत से जारी ‘काला खेल’…
सिंगरौली। ऊर्जा की राजधानी के नाम से मशहूर यह जिला एक बार फिर कोयले के अवैध परिवहन और ओवरलोडिंग के मामले में सुर्खियों में आ गया है। नॉर्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एनसीएल) की जयंत परियोजना के कांटा नंबर-4 से लगातार ओवरलोड कोयला निकाले जाने की शिकायतें सामने आ रही हैं। आरोप है कि यह सारा खेल एनसीएल अधिकारियों, कांटा बाबू, ट्रांसपोर्टरों और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है।
ओवरलोडिंग का खेल और नियमों की अनदेखी
सूत्रों के अनुसार, जयंत परियोजना के कांटा नंबर-4 पर तय नियमों को धता बताकर कोयला लोड किया जा रहा है। यहां ईटीपी (खनिज विभाग की तय लोडिंग क्षमता) 22 टन है, जबकि वाहनों में 29 टन तक कोयला भरा जा रहा है। यानी हर गाड़ी पर औसतन 7 टन अतिरिक्त कोयला लादा जा रहा है। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे कोयला कंपनी को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ओवरलोड वाहन जहां सड़कों को बर्बाद कर रहे हैं, वहीं आम लोगों की जान को भी खतरे में डाल रहे हैं। कई बार ओवरलोड कोयला ट्रांसपोर्ट करने वाले वाहनों की वजह से हादसे हो चुके हैं, जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है।
मिलीभगत से चल रहा है ओवरलोड का खेल
जानकारी के अनुसार, यह पूरा खेल एनसीएल अधिकारियों, तैनात कांटा बाबुओं और ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत से हो रहा है। सूत्रों का दावा है कि संबंधित कांटा बाबू ट्रांसपोर्टरों से अवैध रूप से पैसों की वसूली करते हैं और इसके एवज में गाड़ियों को “अंडर पास” दिखाकर बाहर निकलने की अनुमति दे देते हैं। बदले में एनसीएल के संबंधित कर्मचारी भी अपनी हिस्सेदारी लेते हैं। इस सांठगांठ का सीधा नतीजा यह है कि कोयले का अवैध परिवहन बेखौफ तरीके से जारी है और जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
सड़क सुरक्षा नियमों की उड़ रही धज्जियां
ओवरलोडिंग की वजह से सड़क सुरक्षा नियमों की भी जमकर अनदेखी की जा रही है। डंपर और हाइवा जैसे भारी वाहन अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा कोयला लादकर सड़क पर दौड़ रहे हैं। इन वाहनों की वजह से जहां सड़कों पर गहरे गड्ढे हो रहे हैं, वहीं आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मुद्दे की शिकायत कई बार जिला प्रशासन और खनिज विभाग से की गई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। नतीजा यह है कि कार्रवाई के नाम पर फाइलें ही दबा दी जाती हैं और ओवरलोडिंग का खेल बदस्तूर जारी रहता है।
निष्पक्ष जांच की मांग..
जयंत परियोजना से जुड़ा यह मामला एक बड़े स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। कई गाड़ियों पर लगभग 5 से 10 टन अतिरिक्त कोयला भरने का मतलब है कि रोजाना लाखों रुपये का खेल हो रहा है। इससे न केवल कोल कंपनी को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार के राजस्व पर भी असर पड़ रहा है। इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की सख्त आवश्यकता है।
जाने क्या कहते है ज़िम्मेदार
डिस्पैच इंचार्ज से इस मामले में पूछताछ की गई तो उन्होंने सफाई दी कि “हम लोग सिर्फ आरसी बुक में लिखी क्षमता के अनुसार ही कोयला लोड कराते हैं, ईटीपी की क्षमता से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।” उनका यह बयान सवाल खड़ा करता है कि जब खनिज विभाग और एनसीएल की लोडिंग क्षमता में इतना बड़ा अंतर है, तो आखिर यह गड़बड़ी क्यों और कैसे हो रही है?
