
भारतीय किसानों के बीच इजराइल तकनीक से खेती करने का चलन बढ़ रहा है. इससे उत्पादन क्षमता में बढ़त होती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हासिल होता है. सिंगरौली जिले के किसानों को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खेती करने की ट्रेनिंग दी गई है. कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किसानों को विशेषज्ञों ने उन्नत तरीके से खेती की विधियां बताईं. यहां पर किसानों को गेहूं कटाई और मड़ाई संबंधी कृषि यंत्रों के इस्तेमाल और उनके फायदे भी बताए गए हैं।
सिंगरौली जिले के आशीष शाह बताते है इजरायल की ड्रिप सिंचाई (drip irrigation) तकनीक, जिसे “टपक सिंचाई” भी कहा जाता है, दुनिया भर में प्रसिद्ध है, खासकर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में जहाँ पानी की कमी एक प्रमुख समस्या है। इस तकनीक में, पानी को सीधे पौधों की जड़ों में, पाइपों और ड्रिपर्स के माध्यम से पहुंचाया जाता है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है और फसल की पैदावार बढ़ती है।
इजरायल की ड्रिप सिंचाई की मुख्य बातें:
ड्रिप सिंचाई पानी को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाती है, जिससे वाष्पीकरण और अपवाह (runoff) से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। पानी की सही मात्रा और समय पर आपूर्ति से, फसलें बेहतर ढंग से विकसित होती हैं और पैदावार बढ़ती है। ड्रिप सिंचाई से मिट्टी की सतह पर पानी कम फैलता है, जिससे खरपतवारों का विकास कम होता है। उर्वरकों को पानी में मिलाकर सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है, जिससे उर्वरकों का भी कुशल उपयोग होता है। ड्रिप सिंचाई स्वचालित होती है, जिससे श्रम की आवश्यकता कम होती है।
किसानों के बीच पॉपुलर इजराइल की ये तकनीक
ड्रिप सिंचाई विधि इजराइल में पानी की बचत के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक का व्यापक उपयोग किया जाता है, जिससे पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है और पानी का अपव्यय कम होता है। इजराइल में ग्रीनहाउस और नेट हाउस का इस्तेमाल करके मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से फसलों को बचाया जाता है और पूरे साल भर खेती की जा सकती है। इजराइल में जमीन की कमी को देखते हुए वर्टिकल फार्मिंग तकनीक इस्तेमाल की जाती है. इसे भारत में भी शुरू किया गया है. इस तकनीक के तहत दीवारों पर पौधे उगाए जाते हैं, जिससे कम जगह में अधिक उत्पादन मिलता है। इजराइल में वॉटर रिसाइकिल तकनीक के जरिए इस्तेमाल किए गए पानी को साफ करके दोबारा खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है।