मध्य प्रदेश सिंगरौली विकास दुबे।
सतना। शुक्ला मोहल्ले में रविवार देर रात एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतका की पहचान डॉ. स्नेहल सिंह के रूप में हुई है, जो सिंगरौली जिले में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं। परिजनों ने पति, सास, ससुर और बुआ पर हत्या का आरोप लगाया है। घटना के बाद से पूरे इलाके में शोक और आक्रोश का माहौल है।
मायके पक्ष का आरोप है कि रविवार रात मृतका के पति ने फोन कर उसकी मां की तबीयत खराब होने का बहाना बनाया और ससुराल बुला लिया। मृतका का भाई रात करीब साढ़े 9 बजे उसे ससुराल छोड़कर लौटा। लेकिन अगली सुबह 9 बजे स्नेहल की मौत की खबर मिली। बताया जा रहा है कि पति ने सुबह 5 बजे रीवा जाने की बात कही थी।
सबसे चौंकाने वाला बयान मृतका के सात वर्षीय बेटे ने दिया। उसने कहा, “मम्मी को पापा ने ही मारा। मैं पापा के साथ नहीं जाऊंगा। पापा बहुत बुरे इंसान हैं। उन्होंने कई बार मम्मी को मारा और मेरे नाना-नानी तथा मामा को गालियाँ दीं।”
घरेलू हिंसा पर फिर उठे सवाल
डॉ. स्नेहल सिंह एक पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर महिला थीं। उनकी इस तरह की मृत्यु ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या समाज में महिलाएँ—even शिक्षित और आर्थिक रूप से स्वतंत्र—अपने ही घर में सुरक्षित हैं?
यह घटना न केवल परिवार को तोड़ देने वाली है, बल्कि समाज को भी झकझोर देने वाली है। विशेषकर बच्चे पर इसका गहरा मानसिक प्रभाव पड़ा है, जो अपनी मां की मौत का गवाह और आरोप लगाने वाला बन गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी घटनाएं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती हैं।
न्याय की मांग और सामाजिक जागरूकता की जरूरत
मायके पक्ष के लोगों ने न्याय की गुहार लगाई है और पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, महिला अधिकार संगठनों ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।
इस घटना ने सामाजिक रिश्तों की असलियत को उजागर कर दिया है—जहाँ कभी-कभी सबसे अधिक खतरा उन्हीं से होता है जो सबसे करीब होते हैं। यह समय है जब समाज को घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करनी चाहिए और ऐसे पीड़ितों को संरक्षण और न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।