
मध्य प्रदेश सिंगरौली विकास दुबे।
सड़क मार्ग पर हो रहें हादसे का कौन होगा जिम्मेदारी आए दिन आम जनमानस के परिवार की जा रही जान
रीवा, मध्यप्रदेश — झाबुआ की सड़कें अभी खून से धुली भी नहीं थीं कि रीवा की धरती पर एक और दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। इस बार मौत आई एक सीमेंट से लदे ट्रक के रूप में, जिसने एक ऑटो को इस कदर रौंद डाला कि उसमें सवार लोगों की चीखें भी मलबे में दफन हो गईं। हादसा गुरुवार को रीवा-प्रयागराज नेशनल हाईवे 30 पर, उत्तर प्रदेश सीमा से लगे सोहागी पहाड़ में हुआ। घटना में पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। ऑटो सवार श्रद्धालु गंगा स्नान करके प्रयागराज से लौट रहे थे और अपने घर — नईगढ़ी के मऊगंज इलाके — की ओर जा रहे थे। लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंज़ूर था।
हादसे की खौफनाक तस्वीरें
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रीवा की ओर से आ रहा एक तेज़ रफ्तार ट्रक जब सोहागी की पहाड़ी पर चढ़ रहा था, तभी सामने से एक ऑटो दिखाई दिया, जिसमें करीब 12 लोग सवार थे। दोनों वाहन एक-दूसरे के आमने-सामने आए, और तभी ट्रक अनियंत्रित होकर सीधे ऑटो पर पलट गया। ट्रक में लदी भारी सीमेंट की सीटें ऑटो पर ऐसे गिरीं कि वह पूरी तरह दब गया।
बचाव कार्य नहीं, शव निकालने की कवायद बनी
हादसे के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे लोगों ने प्रशासन को सूचना दी, लेकिन सीमेंट की मोटी सीटों को हटाने में घंटों लग गए। तब तक ऑटो में सवार पांच लोगों की सांसें थम चुकी थीं। शवों को मलबे से निकालने के लिए जेसीबी बुलानी पड़ी। घायलों को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया और रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
परिवार की आस्था का ऐसा अंत
मृतकों में शामिल लोग मऊगंज के मूल निवासी थे और वर्तमान में नईगढ़ी क्षेत्र में निवासरत थे। सभी लोग गंगा दशहरा के अवसर पर प्रयागराज संगम स्नान कर लौट रहे थे। घर लौटते वक्त ही उनका जीवन समाप्त हो गया। एक घायल ने बताया कि वे सभी जायसवाल परिवार से हैं।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
हादसे के बाद यह सवाल भी उठ रहे हैं कि सोहागी पहाड़ जैसे खतरनाक मोड़ों पर प्रशासन ने अब तक कोई स्थायी समाधान क्यों नहीं खोजा। ट्रकों की ओवरलोडिंग, अनियंत्रित रफ्तार और पहाड़ी रास्ते — यह एक खतरनाक संयोजन बन चुका है। और अब यह संयोजन लगातार जानें ले रहा है।
क्या सिर्फ जांच से सुधरेगा सिस्टम?
हर हादसे के बाद प्रशासन जांच के आदेश दे देता है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। आखिर कब तक आम जनता सड़कों पर मरती रहेगी? क्या कोई जवाबदेह नहीं है?
यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का जीता-जागता सबूत है। सीमेंट से लदी लाशें हमें सिर्फ यह नहीं बतातीं कि ट्रक पलटा था, बल्कि यह भी बताती हैं कि हमारी व्यवस्था कब की उलट चुकी है — और हम सब उसके नीचे दबे