अवैध होर्डिंग्स से पट गया शहर, जानकारी के बाद भी जिम्मेदार मौन
चाक चौराहों पर लगे अवैध होर्डिंग-बैनरों से शहर की बिगड़ी सूरत
सिंगरौली। नगर पालिक निगम सिंगरौली की अनदेखी और राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पूरे शहर में अवैध होर्डिंग्स, बैनर और पोस्टरों का जाल बिछ गया है। हालात यह हैं कि शहरी क्षेत्र के हर प्रमुख चौक-चौराहे, भवनों के सामने, बिजली के पोल और डिवाइडरों तक पर मनमानी तरीके से बैनर और होर्डिंग्स लटकाए जा रहे हैं। नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते ये अवैध विज्ञापन न केवल शहर की सुंदरता को बिगाड़ रहे हैं बल्कि हादसों को भी दावत दे रहे हैं।
सूचना के बाद भी कार्रवाई शून्य
जानकारी के अनुसार, अवैध होर्डिंग्स हटाने की शिकायत नगर पालिक निगम कमिश्नर तक कई बार पहुंच चुकी है, लेकिन हालात जस के तस हैं। कमाई के खेल में जिम्मेदारों की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। बताया जा रहा है कि जिन क्षेत्रों को मॉडल रोड का दर्जा दिया गया है, वहां भी अव्यवस्थित तरीके से होर्डिंग्स लगा दिए गए हैं। माजन चौक से लेकर विन्ध्यनगर तक के पूरे मार्ग पर पोलों और चौराहों पर अवैध होर्डिंग्स टंगे हुए हैं। यही हाल जयंत, मोरवा और बस स्टैंड का है, जहां किसी भी तरह की अनुमति या शुल्क वसूली के बिना दर्जनों बैनर और बड़े होर्डिंग्स लटके हुए हैं।
नगर निगम को हो रहा लाखों का नुकसान
नगर निगम को इन अवैध विज्ञापनों से हर साल लाखों का राजस्व नुकसान हो रहा है। सामान्यत: निगम की अनुमति से लगाए जाने वाले विज्ञापनों से निगम को एक बड़ी राशि प्राप्त होती है, लेकिन बिना अनुबंध और अनुमति के लगे ये होर्डिंग्स सीधे-सीधे राजस्व पर डाका डाल रहे हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रभावशाली लोगों के दबाव के चलते प्रशासन इन पर कार्रवाई करने से बचता आ रहा है। यही वजह है कि पूरे शहर में आधे सैकड़े से ज्यादा बड़े होर्डिंग्स और अनगिनत छोटे बैनर व पोस्टर लटके हुए हैं।
खतरे की वजह बन रहे होर्डिंग्स
सड़क किनारे, ट्रैफिक सिग्नल, और चौराहों पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स वाहन चालकों के लिए गंभीर खतरे बन गए हैं। कई जगह तो इनकी ऊंचाई इतनी कम है कि तेज हवा चलने या बारिश के दौरान इनके गिरने से हादसा हो सकता है। यातायात विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के विज्ञापन वाहन चालकों का ध्यान भटकाते हैं और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ाते हैं।
अवैध होर्डिंग्स ने बिगड़ रहा शहर का स्वरूप
स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध होर्डिंग्स ने शहर का स्वरूप बिगाड़ कर रख दिया है। बिजली के खंभों और डिवाइडरों पर चिपके पोस्टर जहां गंदगी फैलाते हैं, वहीं बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स से शहर बदरंग नजर आता है। लोगों का आरोप है कि नगर निगम सिर्फ चुनिंदा पोस्टरों पर दिखावटी कार्रवाई करता है, जबकि राजनीतिक या प्रभावशाली लोगों से जुड़े अवैध विज्ञापनों को पूरी तरह नजरअंदाज किया जाता है।
सवालों के घेरे में नगर निगम
नगर निगम की यह लापरवाही अब सवालों के घेरे में है। आखिर क्यों अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई करने से निगम पीछे हट रहा है? क्या यह राजनीतिक दबाव है या फिर इसमें भी कमाई का खेल छिपा हुआ है? स्पष्ट है कि जब तक नगर निगम कड़े कदम नहीं उठाएगा, तब तक शहर अवैध विज्ञापनों के जंगल में दबा रहेगा और हादसों का खतरा लगातार बढ़ता रहेगा।
