
लक्ष्मी हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद बढ़ता गया ब्लीडिंग, पांच यूनिट ब्लड देने के बावजूद नहीं बच सकी जान — ग्रामीणों में आक्रोश, स्वास्थ्य विभाग ने मांगी रिपोर्ट
ब्यूरो रिपोर्ट
प्रयागराज (मेजा) | 16 अक्टूबर 2025
रामनगर मेजा क्षेत्र के रामनगर स्थित लक्ष्मी हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान 25 वर्षीय महिला की मौत से हड़कंप मच गया। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है। घटना के बाद अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई और देखते ही देखते ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई।
परिजनों का कहना है कि प्रसव के दौरान महिला को अत्यधिक ब्लीडिंग हुई, लेकिन डॉक्टरों ने समय पर उचित इलाज नहीं किया। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों ने उसे लगातार पाँच यूनिट तक ब्लड चढ़ाया, फिर भी खून का बहाव नहीं रुका और कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई।
परिजनों का आरोप — “सर्जरी में की गई जल्दबाज़ी, डॉक्टर अनुभवहीन”
परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि सर्जरी जल्दबाज़ी में की गई और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की योग्यता पर भी सवाल उठ रहे हैं। उनका कहना है कि यदि समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक को बुलाया जाता तो महिला की जान बच सकती थी।
सूत्रों के अनुसार, अस्पताल में आपात स्थिति से निपटने के पर्याप्त उपकरण भी नहीं थे।
पुलिस बल ने सम्हाला मुर्चा, अस्पताल के बाहर तैनात की फोर्स
घटना की सूचना मिलते ही मेजा और मांडा थानों की पुलिस मौके पर पहुँच गई। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए अस्पताल परिसर को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया।
अस्पताल प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा कि “इलाज पूरी प्रक्रिया के तहत किया गया था, लेकिन स्थिति अत्यधिक गंभीर थी, जिससे मौत हो गई।”
स्वास्थ्य विभाग हरकत में, मांगी रिपोर्ट
घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल से पूरी रिपोर्ट तलब की है। सूत्रों का कहना है कि टीम जल्द ही अस्पताल की मान्यता, स्टाफ की योग्यता और उपकरणों की जांच करेगी। यदि लापरवाही या नियमों का उल्लंघन पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों जनता का आक्रोश में बोले — “ऐसे अस्पतालों पर लगे ताला”
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में बिना मानक और अनुमति के चल रहे निजी अस्पतालों की जांच की जाए। उनका कहना है कि ऐसे अस्पतालों में लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
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अब निगाहें जांच रिपोर्ट पर
फिलहाल पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की जांच जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक “औपचारिक जांच” बनकर न रह जाए, बल्कि लापरवाह डॉक्टरों की जवाबदेही तय हो।