
सीडीपीओ के प्रमोशन के बाद नहीं हुई नई तैनाती — सुपरवाइजर रजनी वाला बोलीं, “बिना सीडीपीओ के ही चल रहा सारा कार्य संचालन, कोई देखने वाला नहीं”
संवाददाता – सुरेश चंद्र मिश्रा
प्रयागराज (मेजा):- मेजा ब्लॉक की बाल विकास परियोजना इन दिनों बदहाली की कगार पर है। सरकारी योजनाओं का असर अब केवल कागजों और फाइलों तक सीमित रह गया है। विभाग की स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि 168 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन केवल दो सुपरवाइजरों के सहारे हो रहा है।
जानकारी के अनुसार, बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) का पद पिछले कई सप्ताहों से खाली पड़ा है। पूर्व सीडीपीओ का हाल ही में प्रमोशन कर तबादला कर दिया गया, लेकिन अब तक नई सीडीपीओ की नियुक्ति नहीं की गई है। परिणामस्वरूप, पूरा विभाग बिना जिम्मेदार अधिकारी के “राम भरोसे” चल रहा है।
सुपरवाइजर रजनी वाला का बयान:
“सीडीपीओ मैडम का प्रमोशन कर तबादला हो चुका है। नई सीडीपीओ अब तक नहीं आई हैं। फिलहाल पूरा कार्य संचालन हम सुपरवाइजर ही संभाल रहे हैं — बिना किसी स्थायी अधिकारी के।
अधिकारी की अनुपस्थिति के चलते आंगनबाड़ी केंद्रों में अनुशासन और कार्यप्रणाली दोनों चरमरा गए हैं। कई केंद्रों पर लाभार्थियों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि कुछ स्थानों पर कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की मनमानी ने व्यवस्था को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है।
पोषण अभियान, मिशन शक्ति, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी तमाम सरकारी योजनाएं जो मातृ और शिशु स्वास्थ्य सुधार के लिए चलाई जा रही हैं, वे अब सिर्फ रिपोर्टों और बैठकों की खानापूरी बनकर रह गई हैं।
ग्रामीणों और लाभार्थियों के कथित तौर पर –
“अगर इसी तरह जिम्मेदार अधिकारी न रहे तो आंगनबाड़ी केंद्रों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। सरकार की मंशा अच्छी है, लेकिन मेजा में अमल का कोई नामोनिशान नहीं।
प्रशासन मौन, विभाग में हड़कंप नहीं
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सीडीपीओ का चार्ज खाली होने के बावजूद उच्च अधिकारी मौन हैं। न तो डीपीओ स्तर पर कोई कार्रवाई हुई और न ही नई तैनाती की प्रक्रिया तेज हुई। इससे यह साफ झलकता है कि विभाग के शीर्ष स्तर पर भी लापरवाही का आलम है।
168 केंद्रों पर सिर्फ दो सुपरवाइजर — स्टाफ की भारी कमी से केंद्रों का संचालन भी चरमराया, जिम्मेदारी बंटने के बजाय बोझ बढ़ा।
अराजकता और लापरवाही का असर:
अधिकारी की अनुपस्थिति का सीधा असर केंद्रों की कार्यप्रणाली पर दिखाई दे रहा है। कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर लाभार्थियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है, जबकि कुछ जगहों पर कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की मनमानी ने व्यवस्था की कमर तोड़ दी है
मेजा बाल विकास परियोजना की हालत यह दर्शाती है कि जब प्रशासनिक जिम्मेदारी के बिना योजनाएं चलाई जाती हैं, तो जनता तक उनका असर नहीं पहुंचता। यदि शीघ्र नई सीडीपीओ की तैनाती नहीं की गई, तो बाल विकास योजनाएं पूरी तरह से ठप पड़ सकती हैं — और इसका सीधा असर माताओं व बच्चों के पोषण और भविष्य पर पड़ेगा।