
मेजा में फर्जी डॉक्टरों का साम्राज्य! — अवैध क्लिनिकों का जाल बना मौत का अड्डा, स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
➡️ मांडा से भरतगंज तक फर्जी क्लिनिकों की भरमार — बिना डिग्री और रजिस्ट्रेशन के चल रहा इलाज का खेल
➡️ महिला की मौत से टूटा सब्र का बांध, अब दांत के अस्पताल में मासूम “सुहेल” बना डाक्टर कमाल का चेला
संवाददाता — सुरेश चंद्र मिश्रा,
प्रयागराज (मेजा/मांडा) : – मेजा तहसील क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा अब जनता की जान पर भारी पड़ने लगी है। मांडा खास से लेकर भरतगंज और मांडा चौराहे तक फर्जी क्लिनिक और अवैध मेडिकल सेंटरों का नेटवर्क फैला हुआ है। बिना रजिस्ट्रेशन, बिना डिग्री और बिना प्रशिक्षण के लोग खुद को डॉक्टर बताकर इलाज के नाम पर मौत का कारोबार चला रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इन क्लिनिकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। चाय-पान की दुकानों की तरह जगह-जगह पर चल रही ये “चलती-फिरती क्लिनिकें” अब गंभीर बीमारियों का अड्डा बन चुकी हैं। दवा, इंजेक्शन और ड्रिप से लेकर डिलीवरी तक — सब कुछ बिना लाइसेंस और चिकित्सकीय मान्यता के किया जा रहा है।
महिला की मौत ने खोली स्वास्थ्य विभाग की पोल
हाल ही में मेजा के रामनगर स्थित लक्ष्मी हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान एक महिला की मौत हो गई थी। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही और अनुभवहीनता के गंभीर आरोप लगाए हैं। लोगों का कहना है कि अगर जिला सीएमओ अरुण तिवारी ने पहले से कार्रवाई की होती, तो ऐसी दर्दनाक घटना नहीं होती।
फर्जी डॉक्टरों का बोलबाला — “बंगाली डॉक्टर” से लेकर बी. फार्मा तक
भारतगंज क्षेत्र में बंगाल से आए क्रिस नारायण नामक व्यक्ति खुद को डॉक्टर बताते हैं। पिछले चार सालों से वे बिना किसी डिग्री और रजिस्ट्रेशन के इलाज कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने निडर होकर कहा —
“रजिस्ट्रेशन हो गया है, कल से लग जाएगा।”
इसी तरह आकोढ़ी, विंध्याचल निवासी बी. फार्मा धारक अखिलेश पांडे तीन साल से लगातार मेजा क्षेत्र में क्लिनिक चला रहे हैं। उनके पास न तो चिकित्सकीय लाइसेंस है, न ही डिग्री — फिर भी वे इंजेक्शन और दवाइयों से इलाज कर रहे हैं।
अब तो मासूम भी बने ‘डॉक्टर’ — दांत के अस्पताल में कमाल का चेला सुहेल
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मेजा क्षेत्र में बिना रजिस्ट्रेशन वाले एक दांत के अस्पताल में अब मासूम बच्चे “सुहेल” को डाक्टर कमाल का चेला बना दिया गया है।
लोगों का कहना है कि सुहेल महज एक किशोर है, लेकिन बिना किसी चिकित्सकीय ज्ञान या प्रशिक्षण के उसे क्लिनिक में मरीजों की जांच और दवा देने का काम कराया जा रहा है, यह न सिर्फ कानून का उल्लंघन है बल्कि बाल संरक्षण कानून और चिकित्सा अधिनियम दोनों की खुली धज्जियां उड़ाने जैसा है।
ग्रामीणों का कहना है —
“जब बच्चे क्लिनिक में डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज करने लगें, तो समझ लीजिए स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह दम तोड़ चुकी है।”
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जनता कर रही सवाल स्वास्थ्य विभाग मौन क्यों?
इन घटनाओं से साफ है कि मेजा और मांडा क्षेत्र में फर्जी चिकित्सा केंद्रों का गोरखधंधा जमकर फल-फूल रहा है।
यह सवाल पूछ रहे हैं —
क्या जिला सीएमओ अरुण तिवारी इन अवैध क्लिनिकों से वाकिफ नहीं हैं? आखिर क्यों नहीं होती सख्त कार्रवाई?
क्या विभाग की चुप्पी इन फर्जी डॉक्टरों के लिए संरक्षण का काम कर रही है?
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जनता की मांग: अवैध क्लिनिकों पर ताला लगे, जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि मेजा, मांडा और भरतगंज क्षेत्र में चल रहे सभी अवैध क्लिनिकों, फर्जी डॉक्टरों और बिना रजिस्ट्रेशन वाले अस्पतालों पर तत्काल छापेमारी की जाए। साथ ही, डाक्टर कमाल जैसे लोगों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए, जो मासूम बच्चों को इलाज के नाम पर जोखिम भरे काम में लगा रहे हैं।
मेजा की धरती पर स्वास्थ्य सेवाओं का यह काला सच प्रशासनिक लापरवाही की जिंदा मिसाल बन चुका है।
जब बिना डिग्री वाले डॉक्टर इलाज करेंगे और बच्चे डॉक्टरों के चेले बनेंगे, तब जनता का जीवन कैसे सुरक्षित रहेगा?
अब सबकी नजरें सीएमओ अरुण तिवारी और जिला प्रशासन पर टिकी हैं — क्या वे जनता की इस पुकार को सुनेंगे, या यह मौत का कारोबार यूं ही चलता रहेगा?