महाकुंभ के भक्ति गीत ने माघ मेला को बनाया वायरल, 75 साल बाद विशेष नक्षत्र योग में लगने जा रहा मेला — मंत्री ने दिए ‘मिनी महाकुंभ’ जैसी तैयारी के निर्देश
ब्यूरो – रवि शंकर गुप्ता
सादिका पवित्र – तीर्थराज प्रयागराज।- संगम नगरी एक बार फिर भक्ति और आस्था के रंग में रंग गई है। माघ मेला की तैयारियों ने जैसे ही रफ्तार पकड़ी, वैसे ही सोशल मीडिया पर भक्ति गीत “प्रथम यज्ञ भूखंड धरा पे…” की गूंज छा गई। यह वही गीत है जिसने इस वर्ष के महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया था। अब वही गीत एक बार फिर माघ मेला के आगाज़ के साथ लोगों के दिलों में श्रद्धा की ज्योति जला रहा है।
माघ मेला की शुरुआत से पहले ही इसकी तैयारियों के वीडियो और रीलें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। हर वीडियो के बैकग्राउंड में यही भक्ति गीत गूंज रहा है। भक्तजन इसे माघ मेला की “आस्था का एलान” बता रहे हैं। इस बार का आयोजन सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आधुनिक युग की डिजिटल आस्था का भी प्रतीक बन गया है।
बताया जा रहा है कि यह माघ मेला 75 साल बाद एक विशेष नक्षत्र योग में पड़ रहा है। कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर इसे “महा माघ मेला” और “मिनी महाकुंभ” बता रहे हैं। हालांकि ज्योतिषीय दावे को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद हैं, लेकिन श्रद्धा की लहर इतनी प्रबल है कि बहस की जगह अब भक्ति ने ले ली है।
नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने शनिवार को मेला क्षेत्र का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को महाकुंभ जैसी तैयारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा — “माघ मेला में भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है, व्यवस्थाएं उसी स्तर पर की जाएं जैसी महाकुंभ के दौरान की गई थीं।”

तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि सोशल मीडिया ने आस्था के इस पर्व को जन-जन तक पहुंचा दिया है। “महाकुंभ की तरह अब माघ मेला भी डिजिटल चर्चा का केंद्र बन गया है। जो श्रद्धालु कुंभ में नहीं आ पाए थे, वे अब माघ मेला में स्नान और कल्पवास के लिए संगम पहुंचने को उत्सुक हैं,” उन्होंने कहा।
इस बार मेला क्षेत्र में सजावट, सुरक्षा, स्नान घाटों और कल्पवासियों की सुविधाओं को लेकर प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर हैं। संगम की रेती पर भक्ति गीतों की गूंज, तंबुओं की कतारें और आस्था का सागर — प्रयागराज एक बार फिर धर्म, संस्कृति और श्रद्धा के समागम का साक्षी बनने जा रहा है।
