संवाददाता उ.प्र. कानपुर : देश की राजनीति में कानपुर लोकसभा सीट का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
पिछले तीन दशकों से यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच जीत-हार का सिलसिला जारी है, कानपुर सीट पर अब तक 17 संसदीय चुनाव हो चुके हैं।
अहम बात यह है कि इस सीट पर बसपा और सपा का अब तक जीत का खाता नहीं खुला है।
अब तक सपा-बसपा यहां ज्यादातर तीसरे और चौथे स्थान पर रहे हैं, गौरतलब है कि कानपुर सीट पर पिछले दस वर्षों से भाजपा का कब्जा है।
कानपुर सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव में कांग्रेस छह बार और भाजपा को पांच बार जीत हासिल हुई है।
वहीं, कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी इस सीट पर जीत की हैट्रिक का रिकार्ड भी बना चुके हैं।
बसपा का नहीं खुला जीत का खाता
बहुजन समाज पार्टी ने 1989 के आम चुनाव में पहली बार कानुपर सीट से अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा, बसपा प्रत्याशी शारिफ को 11219 (2.64 प्रतिशत) वोट हासिल हुए।
चौथे स्थान पर रहा बसपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। इस चुनाव में सीपीएम उम्मीदवार सुभाषनी अली ने जीत हासिल की थी।
1991 के आम चुनाव में बसपा प्रत्याशी राम नाथ 3.94 फीसदी वोट पाकर पांचवे स्थान पर रहा, बसपा प्रत्याशी अपनी जमानत जब्त होने से बचाने में विफल रहा।
ये चुनाव भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण ने जीता था, 11वीं लोकसभा के साल 1996 में हुए चुनाव में बसपा प्रत्याशी शरीफुदीन अहमद की जमानत जब्त हुई
तीसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी केा 9.00 फीसदी वोट हासिल हुए।
इस चुनाव में भाजपा जीती और कांग्रेस चौथे स्थान पर रही।
साल 1998 के चुनाव में बसपा के पवन गुप्ता की जमानत जब्त हुई, चौथे स्थान पर रहे पवन को 7.27 फीसदी वोट हासिल हुए।
ये चुनाव भाजपा ने जीता था। 1999 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर के सांसद बने।
इस चुनाव में बसपा के मान सिंह बग्गा चौथे स्थान पर रहे, बग्गा को 4.15 फीसदी वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई।
2004 के चुनाव में दूसरी बार कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल यहां से जीते।
बसपा के अनुभव चौथे स्थान पर रहे। अनुभव को 4.47 फीसदी वोट मिले, 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस के श्रीप्रकाश यहां से तीसरी बार सांसद बने।
बसपा की सुखदा मिश्रा को 9.43 फीसदी वोट मिले, तीसरे स्थान पर रही सुखदा मिश्रा की जमानत जब्त हुई।
2014 में बसपा प्रत्याशी सलीम अहमद को 6.37 फीसदी वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे।
2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन का था। कानपुर सीट सपा के खाते में थी, बता दें, 2014 और 2019 का चुनाव भाजपा ने जीता।
सपा की कामयाब नहीं हुई कोशिशें
1998 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पहली बार कानपुर से चुनाव लड़ा। सपा प्रत्याशी सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल 29.40 फीसदी वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे।
चुनाव भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण ने जीता इस चुनाव में कांग्रेस और बसपा तीसरे व चौथे स्थान पर रहे, कांग्रेस बसपा प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई।
1999 में सपा प्रत्याशी श्याम लाल गुप्ता 6.40 फीसदी वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे, गुप्ता की जमानत जब्त हो गई।
2004 के आम चुनाव में सपा प्रत्याशी हाजी मुश्ताक सोलंकी तीसरे स्थान पर रहे।
सोलंकी को 25.75 फीसदी वोट मिले, 2004 के चुनाव में सपा के सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल को 6.81 फीसदी वोट मिले।
चौथे स्थान पर रहे अग्रवाल की जमानत जब्त हुई, 2014 के चुनाव में सपा प्रत्याशी सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल चौथे स्थान पर रहे, 3.08 फीसदी वोट पाकर अग्रवाल जमानत जब्त करा बैठे।
2019 के चुनाव सपा-बसपा का गठबंधन था। सपा के खाते में कानपुर सीट थी, सपा ने राम कुमार को मैदान में उतारा था।
सपा-बसपा गठबंधन के बाद भी सपा प्रत्याशी मात्र 5.72 फीसदी वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहा, गठबंधन के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई।
2024 के चुनाव का हाल
भाजपा ने मौजूदा सांसद सत्यदेव पचौरी की जगह नए चेहरे रमेश अवस्थी को मैदान में उतारा है।
सपा-कांग्रेस का गठबंधन है, ओर ये सीट कांग्रेस के खाते में है, कांग्रेस ने भी इस बार नए चेहरे आलोक मिश्रा को टिकट दिया है।
बसपा से कुलदीप भदौरिया मैदान में हैं।
