
SDO की मिलीभगत से लूट रहा किसानों का हक…
सिंगरौली जिले में किसानों के लिए वरदान माने जाने वाले कृषि विभाग की योजनाएं अब राजनीतिक हितों की भेंट चढ़ती नजर आ रही हैं। किसानों के लिए मुफ्त में उपलब्ध कराए जाने वाले बीजों पर अब राजनेताओं का कब्जा होता जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे खेल में कृषि विभाग के ही कुछ अधिकारी संलिप्त होने का आरोप किसानो ने लगाया है
कृषि विभाग के SDO पर गंभीर आरोप…
सिंगरौली जिले में पदस्थ कृषि विभाग के एसडीओ पर आरोप है कि वह किसानों की समस्याओं और दफ्तर के काम को छोड़कर राजनेताओं की सेवा में लगे हुए हैं। किसानों का आरोप है कि एसडीओ सिर्फ उन्हीं लोगों को बीज वितरण की मंजूरी देते हैं, जो किसी न किसी नेता के करीबी हैं या सिफारिश लेकर आते हैं।
किसानों की शिकायत है की हक से वंचित किये जा रहे हैं….
ग्राम माडा, सरई, खुटार, और आसपास के क्षेत्रों से आए किसान रतिभान, हरीश चंद्र, दया शंकर सहित कई किसानों ने बताया कि उन्हें उस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, जो राज्य सरकार द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। किसानों का कहना है कि “हमें ₹3000 जमा करने के बाद तो बीज मिल गया, लेकिन जो मुफ्त बीज योजना के तहत दिया जाना था, वह हमें नहीं मिला। वहीं, नेताओं के चेले-चपाटे बिना किसी प्रक्रिया के बीज ले जा रहे हैं।”
राजनेताओं के फोन से होता है वितरण…
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, बीज वितरण में नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। एसडीओ के मोबाइल पर जब किसी नेता का फोन आता है, तो बीज की बोरियां एक झटके में उनके समर्थकों को सौंप दी जाती हैं। वहीं, आम किसान दफ्तर के चक्कर काटते रहते हैं।
राजनीतिक हस्तक्षेप बना रहा है सिस्टम को खोखला..?
यह स्थिति उस वक्त और गंभीर हो जाती है जब सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ किसान तक न पहुंचकर नेताओं और उनके गुर्गों तक सीमित रह जाता है। कृषि विभाग की मंशा थी कि गरीब और सीमांत किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक और बीज का लाभ मिले ताकि उनकी उपज बढ़े। लेकिन अगर ऐसे भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप चलते रहे, तो यह मंशा धरातल पर कभी नहीं उतर पाएगी।
जनता की मांग हो उच्च स्तरीय जांच..
स्थानीय किसान संगठनों ने इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। किसानों का कहना है कि अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। सिंगरौली में बीज वितरण घोटाला कृषि व्यवस्था के उस काले पक्ष को उजागर करता है, जिसमें किसानों के नाम पर योजनाएं बनाई जाती हैं लेकिन लाभ पहुंचता है राजनेताओं और उनके खास लोगों को। जरूरत है कि शासन इस मामले को गंभीरता से ले और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में किसान को उसका वाजिब हक बिना किसी सिफारिश के मिल सके।
क्या कहता है प्रशासन..?
हालांकि, इस मामले पर अभी तक किसी भी अधिकारी का आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन क्षेत्रीय मीडिया में खबरें आने के बाद संभावना है कि जिला प्रशासन जांच के आदेश दे सकता है।