गाय-भैंस की तरह अब बकरियों का भी होगा कृत्रिम गर्भाधान, प्रयागराज समेत पूरे प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम
ब्यूरो – रवि शंकर गुप्ता
सादिका पवित्र – प्रयागराज।- उत्तर प्रदेश में पशुपालन को नई ऊंचाई देने की दिशा में अब एक बड़ा कदम उठाया गया है। गाय-भैंस की तरह अब बकरियों का भी कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) किया जाएगा। इसके लिए सरकारी पशु चिकित्सालयों में विशेष केंद्र (Artificial Insemination Centers) स्थापित किए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य बकरी पालन को प्रोत्साहन देना, नस्ल सुधार करना और किसानों की आय में वृद्धि करना है।
प्रयागराज में बने 14 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र-
जिले के 14 राजकीय पशु चिकित्सालयों को कृत्रिम गर्भाधान केंद्र के रूप में चयनित किया गया है। इनमें शंकरगढ़, प्रतापपुर, हंडिया, कोरांव, जसरा, सोरांव, लालगोपालगंज, कौधियारा, मांडा, करछना, उरुवा, मेजा, भगवतपुर और बहरिया के अस्पताल शामिल हैं।
इन केंद्रों पर उन्नत नस्ल वाले बकरों के सीमन से बकरियों का गर्भाधान कराया जाएगा। फिलहाल, प्रत्येक केंद्र को 30-30 सीमन डोज उपलब्ध कराए गए हैं।

प्रशिक्षित टीम करेगी कार्य-
केंद्रों पर कार्य के लिए पांच पशु चिकित्सक, पांच पशुधन प्रसार अधिकारी और चार पशु मित्रों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। ये सभी विशेषज्ञ बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया को वैज्ञानिक तरीके से संचालित करेंगे।
यह सुविधा पशुपालकों को पूरी तरह निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी ताकि छोटे किसान भी आसानी से इसका लाभ उठा सकें।
उन्नत नस्लों से बढ़ेगा दूध और मांस उत्पादन-
गंगापार और यमुनापार क्षेत्रों में लगभग 70 हजार किसान व पशुपालक करीब 3.84 लाख बकरियां पाल रहे हैं। इनमें अधिकांश सामान्य या संकर नस्ल की बकरियां हैं, जो दूध और मांस उत्पादन में पीछे हैं।
वहीं, बरबरी, जमुनापारी, बीट और ब्लैक बंगाल जैसी उन्नत नस्लों की बकरियां प्रतिदिन दो से तीन लीटर दूध देती हैं और एक वर्ष के भीतर तैयार हो जाती हैं। इनका वजन 30 से 50 किलोग्राम तक होता है, जो बाजार में अधिक मूल्य दिलाता है।
किसानों की आय में आएगा इजाफा-
पशुपालन विभाग का मानना है कि बकरियों के नस्ल सुधार से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। साथ ही, यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आत्मनिर्भरता का नया मार्ग खोलेगा।
“बकरियों की नस्ल में सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था शुरू की गई है। यह सुविधा पूरी तरह निशुल्क है। किसान व पशुपालक इस योजना का लाभ उठाएं।”
— डॉ. शिवनाथ यादव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, प्रयागराज
