
प्रयागराज, शंकरगढ़। क्षेत्र में गुरुवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। करीब डेढ़ महीने पहले दफनाई गई 20 वर्षीय महिला का शव कोर्ट के आदेश और डीसीपी यमुनानगर के निर्देश पर कब्र से निकलवाकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। यह कार्रवाई तब हुई जब मृतका के पिता ने न्याय के लिए कोर्ट की शरण ली।
मृतका के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने कई बार शंकरगढ़ पुलिस से गुहार लगाई, लेकिन उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया। अंततः थक-हारकर पीड़ित पिता को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोर्ट के संज्ञान में मामला आने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की, जो पहले ही की जानी चाहिए थी।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि शंकरगढ़ पुलिस समय रहते जिम्मेदारी से काम करती, तो शायद पीड़ित परिवार को कोर्ट का सहारा नहीं लेना पड़ता। यह न केवल पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि आम जनता के पुलिस पर से घटते भरोसे को भी उजागर करता है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस विभाग के उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। लगातार शंकरगढ़ क्षेत्र में गिरती पुलिस व्यवस्था आम नागरिकों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। ऐसे मामलों में दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, जिससे पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके और पुलिस विभाग की साख भी बनी रहे।
पुलिस आयुक्त प्रयागराज को चाहिए कि वह इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर स्वतंत्र जांच कराएं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। तभी आम जनता का भरोसा पुलिस पर कायम रह सकेगा।