संवाददाता रोहतक।:- लोकसभा चुनाव-2024 में कई रंग देखने को मिल रहे हैं, रोहतक लोकसभा से चुनाव लड़ रहे मास्टर रणधीर सिंह के बारे में रोचक बातें सामने आई हैं।
नामांकन पत्र में दिए गए ब्योरे के अनुसार रणधीर के पास केवल दो रुपये हैं, जिसमें एक रुपये कैश (कैश इन हैंड) भी शामिल है, हालांकि नामांकन पत्र के विपरीत उनके हालात निकले।
क्योंकि उनकी तरफ से दिए गए ब्योरे से उनकी आर्थिक स्थिति मेल नहीं खाती।
कलानौर विधानसभा क्षेत्र में आने वाले नगर निगम रोहतक के वार्ड-5 स्थित रैनकपुरा में उनका करीब 200 गज का बेहद पुराना घर बना हुआ है, जिसमें तीन छोटे-छोटे कमरे हैं। दरवाजों पर वर्षों से पेंट भी नहीं हुआ है।
जिस कमरे में बेटे की बहू रहती हैं उसमें पर्दा डाला हुआ है, दो छोटे कच्चे कमरे हैं, जिनमें दो भैंस रखते हैं, घर में दो पुराने कूलर, फ्रिज व वाशिंग मशीन भी हैं।
एमए इतिहास व सोशल स्टडी से बीएड कर चुके रणधीर कहते हैं कि सरकारी नौकरी लगी नहीं। 60 वर्षीय रणधीर वर्तमान में सासी समाज के प्रधान हैं।
1988 में इंदिरा कालोनी में दो किराए के कमरों में निजी स्कूल संचालित किया, लेकिन कमाई का साधन नहीं बना। इसलिए निजी स्कूल छह वर्ष बाद बंद कर दिया।
1993 में रैनकपुरा में टीनशेड लगाया। कई-कई वर्ष के अंतराल पर एक-एक कमरा बनाया।
दो रुपये की संपत्ति पर बोले रणधीर
संपत्ति केवल दो रुपये के सवाल पर कहा कि पत्नी अनीता देवी व उनके बैंक खाते हैं, लेकिन एक भी रुपया जमा नहीं, जो मकान है उसका मालिकाना हक नहीं, क्योंकि संबंधित कालोनी आज तक वैध नहीं हो सकी इसलिए चल के साथ ही अचल संपत्ति भी शून्य ही है।
आमदनी के सवाल पर कहा कि एक बेटा विशाल आर्केस्ट्रा पार्टियों में म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट बजाता है, वही कमाता है।
दो में एक बेटी की शादी कर दी है। चुनाव लड़ने के चलते फिलहाल घर पर रिश्तेदारों का आना-जाना लगा हुआ है।
प्रचार को लेकर जवाब दिया कि समाज की तरफ से दो गाड़ियां दी गई हैं, वही तेल का खर्चा उठाते हैं।
जांच करने चंडीगढ़ से आए थे एक अधिकारी
कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से ऑनलाइन नामांकन करने वाले इकलौते प्रत्याशी मास्टर रणधीर के ब्योरे को लेकर अधिकारी भी असमंजस में थे।
बीपीएल(गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले) श्रेणी में बैंक खाता खुला था, बैंक खातों में कुछ नहीं था, इसलिए ऑनलाइन आवेदन बाद वही ब्योरा शपथ-पत्र में आ गया।
नामांकन पत्र की कापी जमा कराने के लिए जब रणधीर पहुंचे तो दो अधिकारियों ने आपत्ति जताई और पूरा ब्योरे की जांच की।
नामांकन के बाद संपत्ति के ब्योरे पर चुनाव आयोग को भी शक हुआ तो चंडीगढ़ से जांच के लिए नामांकन के बाद एक अधिकारी आए थे, मगर संपत्ति नहीं मिली।
एससी-2(अनुसूचित जाति) में शामिल हैं, नामांकन पत्र का शुल्क 25 हजार का आधा यानी 12500 रुपये लोगों ने चंदा दिया।
चुनाव लड़ने के सवाल पर बोले- सासी समाज की आवाज उठाने मैदान में आया
मास्टर रणधीर भाजपा सरकार से खफा हैं तो कांग्रेस से भी खासे नाराज दिखे, यह भी कहा कि सासी समाज के रोहतक क्षेत्र में पांच-सात कॉलोनियों में करीब आठ-दस हजार मतदाता हैं।
सासी समाज आज भी शिक्षा से दूर है और नशे और अपराध की तरफ युवा जा रहे हैं। इसलिए समाज की आवाज उठाने के लिए मैदान में आए हैं।
हुड्डा सरकार में यहां 10 घर गिराए गए, उस दौरान भी वैध कालोनी नहीं हुई, जबकि भाजपा राज में भी यहां पानी, सीवरेज, सफाई के काम नहीं हुए।
परिवार पहचान पत्र(पीपीपी) की बड़ी खामी बताते हुए कहा कि बेटी की शादी बीते वर्ष नवंबर में हुई एससी होने के नाते कन्यादान योजना में 71 हजार रुपये मिलने थे, लेकिन इसकी शर्त यही थी कि सालाना आमदनी 1.80 लाख रुपये हो।
पीपीपी में तीन लाख रुपये आमदनी दिखा दी। नियमानुसार 90 दिन में यह त्रुटि दूरी होनी चाहिए थी, मगर आवेदन के 180 दिनों बाद त्रुटि दूर होने से योजना का लाभ नहीं मिला।