
20240310 170214
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग बांदा पर महिला चपरासी से पूर्णकालिक कर्मचारी के बतौर काम लेने के बावजूद निर्धारित वेतन नहीं देने पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है।
महिला 45 साल तक 15 रुपये वेतन पर काम करते हुए 2016 में सेवानिवृत्त भी हो गईं।
संवादाता (उ.प्र.) बांदा :- हाईकोर्ट बेसिक शिक्षा विभाग बांदा ने 45 साल तक महिला चपरासी से 15 रुपये वेतन पर काम लिया। अब हाईकोर्ट ने एक लाख हर्जाना लगाया है।
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग ने बांदा की भगोनिया देवी को बढ़ा वेतन नहीं दिया गया, वो 1971 में कन्या जूनियर हाईस्कूल में सेविका के रूप में नियुक्ति हुई थी। 2016 में सेवानिवृत हो गईं।
वह 1971 में बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित कन्या जूनियर हाईस्कूल में 15 रुपये वेतन पर सेविका के रूप में नियुक्त की गईं थीं। 1981 में उन्हें पूर्णकालिक चपरासी के रूप में प्रोन्नति देते हुए वेतन 165 रुपये निर्धारित हुआ। लेकिन, यह उन्हें दिया नहीं गया।
इसके खिलाफ उन्होंने 1985 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया ,कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी बांदा को वेतन संबंधी मांग निस्तारित करने का निर्देश दिया, बीएसए ने 165 रुपये वेतन देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उनकी सेवाओं और वेतन का अनुमोदन नहीं हुआ है।
यह नियुक्ति अनियमित है, फिर, 1996 में उनकी पूर्णकालिक सेवा समाप्त कर दी गई।
2010 में वह निर्धारित वेतन की मांग को लेकर फिर हाईकोर्ट आईं वर्ष 2016 में वह सेवानिवृत हो गईं, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने बढ़े वेतन का भुगतान नहीं किया।
35 साल की पूर्णकालिक सेवा के बावजूद मात्र 15 रुपये प्रतिमाह वेतन ही मिलता रहा।
हालांकि, वह 2016 तक काम करतीं रहीं।
उन्होंने दो बार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हक हासिल नहीं हो सका खफा कोर्ट ने हर्जाने सहित बकाया वेतन देने का आदेश दिया है।
यह फैसला न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने बांदा जिले की भगोनिया देवी की 14 साल से लंबित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
कोर्ट ने याची की पूर्णकालिक नियुक्ति की तारीख से 165 रुपये की दर से 35 साल की सेवा के लिए 69,300 रुपये अदा करने का आदेश दिया।
साथ ही, दो बार कोर्ट आने के लिए विवश करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाते हुए याची को भुगतान करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा…प्रजा के सुख में ही राजा का सुख निहित
हाईकोर्ट ने कहा, विपक्षियों ने अत्यधिक तकनीकी दृष्टिकोण अपनाया है, जो एक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के खिलाफ है।
कोर्ट ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र के राजधर्म के नीति वचन संबंधी श्लोक प्रजा सुखे सुखं राज्ञः प्रजानां तु हिते हितम्, नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम्… का भी उल्लेख किया।
अर्थात, प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है। जो स्वयं को प्रिय लगे उसमें राजा का हित नहीं है। उ