एनसीएल की दूधिचुआ परियोजना में सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत से अवैध रेत कारोबार जारी
बलिया नाले में ओबी से बहकर आया हुआ रेत का ट्रैक्टर से हो रहा परिवहन, हादसा हुआ तो कौन होगा ज़िम्मेदार??
सिंगरौली जिले में स्थित एनसीएल की दूधिचुआ परियोजना एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत से खुलेआम अवैध रेत का कारोबार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि परियोजना से लगे नदी-नालों से ट्रैक्टर के माध्यम से रेत निकाली जाती है और बाद में मोटे दामों पर बेची जाती है। इस पूरे खेल में सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे सुरक्षा अधिकारी की मिलीभगत की चर्चा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह से अनजान बने बैठे हैं।
सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति
परियोजना क्षेत्र में तैनात सुरक्षा कर्मियों की जिम्मेदारी होती है कि वे किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि पर रोक लगाएँ, लेकिन यहां पर सुरक्षा ही सबसे बड़ा सवाल बन गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेत निकालने वाले वाहन बिना रोकटोक परियोजना क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं और सुरक्षा गार्ड उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि पूरा काम मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं है। दुर्घटनाओं का खतरा बना स्थायी लोगों के लिए एनसीएल दूधिचुआ परियोजना के अंदर पहले भी कई दर्दनाक हादसे हो चुके हैं। ट्रक, डंपर और भारी वाहनों की टक्कर से मजदूरों और स्थानीय लोगों की जानें जा चुकी हैं। बावजूद इसके जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया। अब रेत माफिया और सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत से हालात और खतरनाक होते जा रहे हैं। नदी-नालों से बेतरतीब तरीके से रेत निकालने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है, बल्कि भू-धंसान और दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद न तो एनसीएल प्रबंधन और न ही प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया है। बड़े पैमाने पर हो रहे इस अवैध कारोबार में अधिकारियों की चुप्पी संदेह पैदा करती है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर क्यों हर बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई का नामोनिशान नहीं होता? क्या वाकई अधिकारियों को इस पूरे खेल की खबर नहीं है, या फिर मिलीभगत का दायरा ऊपर तक फैला हुआ है?
प्रशासन और सरकार पर दबाव
क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि दूधिचुआ परियोजना में हो रहे अवैध रेत कारोबार की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता। कुल मिलाकर, एनसीएल दूधिचुआ परियोजना में सुरक्षा कर्मियों और रेत माफियाओं की मिलीभगत से चल रहे इस अवैध धंधे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन और एनसीएल प्रबंधन कब जागता है और अवैध रेत कारोबार के इस खेल पर अंकुश लगाता है।
