जियावन थाना क्षेत्र में कार्रवाई के बाद भी जारी है अवैध रेत का कारोबार, प्रशासन की चुप्पी
सिंगरौली। मध्य प्रदेश सरकार जहां अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए लगातार सख्त निर्देश जारी कर रही है, वहीं जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल उलट दिखाई दे रही है। खासकर सिंगरौली जिले के जियावन थाना क्षेत्र में अवैध कारोबारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलेआम धंधा कर रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह अवैध कारोबार कुछ जिम्मेदारों की मिलीभगत से फल-फूल रहा है। क्षेत्र में खुलेआम अवैध रेत परिवहन और अन्य गैरकानूनी गतिविधियाँ चल रही हैं। सरकार और जिला प्रशासन भले ही अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने के लाख दावे करें, लेकिन हकीकत यह है कि कुछ जिम्मेदारों की लापरवाही एवं खानापूर्ति ने लोगों का भरोसा पूरी तरह तोड़ दिया है।
अवैध रेत कारोबार से जनता परेशान
क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि बीते कुछ महीनों में जियावन क्षेत्र से बड़ी मात्रा में अवैध रेत का परिवहन लगातार हो रहा है। नदियों और नालों से बेतहाशा रेत निकाली जा रही है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि गांवों की सड़कें भी चौपट हो रही हैं। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और भारी वाहनों से रोजाना सैकड़ों टन रेत बाहर भेजी जा रही है।
पुलिस की “खानापूर्ति कार्रवाई”
जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देशों के बावजूद थाना स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। कभी-कभार खानापूर्ति के लिए कुछ ट्रैक्टर पकड़कर छोड़ दिए जाते हैं, लेकिन बड़े माफियाओं तक पुलिस का शिकंजा नहीं पहुंच पा रहा। यही वजह है कि अवैध कारोबारियों के हौसले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं।
सरकार के आदेशों को ठेंगा
मध्य प्रदेश सरकार ने अवैध खनन, परिवहन और कारोबारियों पर लगाम कसने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। यहां तक कि प्रदेश स्तर पर निगरानी समितियाँ भी बनाई गई हैं, लेकिन चितरंगी क्षेत्र में इन आदेशों को पूरी तरह ठेका दिखाया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर थाना प्रभारी चाह लें तो 24 घंटे में अवैध कारोबार पर रोक लग सकती है, लेकिन मिलीभगत और संरक्षण के कारण कारोबारी बेखौफ हैं।
प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अवैध कारोबार से आम जनता परेशान है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी माफियाओं से सांठगांठ कर आंखें मूंदे हुए हैं। इससे जनता का पुलिस पर से भरोसा उठता जा रहा है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की है कि ऐसे थाना प्रभारी और पुलिसकर्मियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए, जो अवैध कारोबार को संरक्षण देने में शामिल हैं।
