
मणिकर्णिका घाट पर शवों को नाव से लाया जा रहा, अंतिम संस्कार में 5 घंटे तक की देरी; गंगा का पानी काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार तक पहुंचा, 26 गांव और 21 मोहल्ले जलमग्न
वाराणसी (उत्तर प्रदेश), 03 अगस्त उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और शनिवार देर शाम यह खतरे के निशान 71.262 मीटर को पार कर चुका है। रविवार सुबह 8 बजे तक गंगा का जलस्तर 71.56 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो खतरे के निशान से काफी ऊपर है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, जलस्तर में औसतन 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से वृद्धि हो रही है। बीते 24 घंटे में यह 69 सेंटीमीटर बढ़ा है।
घाटों पर शवदाह प्रभावित, नाव से पहुंचाए जा रहे शव
बढ़ते जलस्तर के कारण मणिकर्णिका घाट तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। सतुआ बाबा आश्रम के गेट तक जलभराव हो चुका है, और शवदाह के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में 4 से 5 घंटे तक का विलंब हो रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर भी स्थिति गंभीर है, जहां घाट की जगह कम पड़ने से गलियों में ही अंतिम संस्कार किया जा रहा है। कई मंदिर भी पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं।
काशी विश्वनाथ धाम पर खतरा, गंगा आरती गलियों में
श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार की सीढ़ियों तक पानी पहुंच गया है, और यहां सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। दशाश्वमेध घाट पर जल पुलिस का कार्यालय जलमग्न हो चुका है, जबकि अस्सी घाट की सीढ़ियां डूबने के बाद पानी गलियों में प्रवेश कर चुका है। इसके चलते प्रसिद्ध सायंकालीन गंगा आरती अब घाटों की बजाय गलियों में संपन्न की जा रही है।
बाढ़ का दायरा व्यापक, 26 गांव और 21 शहरी मोहल्ले प्रभावित
गंगा और वरुणा नदियों के उफान से तहसील सदर के ग्रामीण इलाके और शहर के कई मोहल्ले जलमग्न हो गए हैं। सलारपुर, सरैया, नक्खी घाट, दानियालपुर, कोनिया, ढेलवरिया, नगवां, सिकरौल, तपोवन और डोमरी सहित 21 मोहल्लों में पानी भर चुका है। वहीं, 26 ग्रामीण गांवों में जनजीवन और कृषि कार्य पूरी तरह प्रभावित हैं। कई लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर चुके हैं।
राहत और बचाव कार्य जारी, प्रशासन हाई अलर्ट पर
प्रदेश सरकार के निर्देश पर वाराणसी जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, जल पुलिस, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। सभी संबंधित विभागों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
1978 की बाढ़ से भी विकट हो सकती है स्थिति
केंद्रीय जल आयोग ने आशंका जताई है कि यदि वर्षा का यही रुख बना रहा तो वर्ष 1978 की भीषण बाढ़ का रिकॉर्ड टूट सकता है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में हो रही भारी वर्षा तथा चंबल, बेतवा, केन जैसी नदियों के बांधों से छोड़े जा रहे पानी के कारण स्थिति और गंभीर होती जा रही है।