
१. “शंकरगढ़: गौशालाओं के बावजूद अन्ना जानवर बेकाबू, खेती और सड़क सुरक्षा पर संकट”
२. “दर्जनों गौशालाएं सिर्फ नाम की, शंकरगढ़ में अन्ना जानवरों से किसान बेहाल”
३. “सड़कें बनी चरागाह: शंकरगढ़ में आवारा जानवरों से बढ़ा हादसों का खतरा”
संवाददाता – शिवम् शुक्ला
प्रयागराज, शंकरगढ़। – शंकरगढ़ विकासखंड में इन दिनों आवारा जानवरों की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। क्षेत्र में दर्जनों गौशालाएं संचालित हो रही हैं — जिनमें एक क्षेत्र पंचायत द्वारा भी चलाई जा रही है — बावजूद इसके सड़कों, गांवों और यहां तक कि ब्लॉक परिसर में भी आवारा जानवर बेरोकटोक घूमते नजर आते हैं।
स्थानीय निवासी और युवा पत्रकार शिवम शुक्ला ने बताया कि यह स्थिति न केवल आमजन के लिए खतरा बन चुकी है, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता का भी प्रतीक है। वे कहते हैं, “गौशालाओं की संख्या इतनी अधिक होने के बाद भी यदि जानवर सड़कों पर हैं, तो यह सवाल उठता है कि उनका संचालन कितना प्रभावी है और इन गौशालाओं में असल में कितने जानवर रखे गए हैं?”
किसान परेशान, हादसों का खतरा बरकरार
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि कुछ हद तक राहत जरूर मिली है, लेकिन 80% किसान अब भी अपनी फसलों को अन्ना जानवरों से बचाने में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
किसान राजाराम कहते हैं, “कई बार रातभर खेतों में जागना पड़ता है, फिर भी जानवर नुकसान कर जाते हैं।”
सड़क पर अचानक आ जाने वाले बैल और गायें कई बार दुर्घटनाओं का कारण बन चुके हैं, जिससे राहगीरों की जान भी जोखिम में पड़ जाती है।
प्रशासन की चुप्पी चिंताजनक आम जनमानस एवं किसानों के लिए खतरा
क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि गौशालाओं का संचालन सिर्फ कागजों तक सीमित है। जिस गांव में गौशाला है, वहां भी आवारा जानवर खुलेआम घूमते नजर आते हैं।
शिवम शुक्ला ने बताया, “जब इस मुद्दे पर अधिकारियों से सवाल किया जाता है, तो कोई ठोस जवाब नहीं मिलता। न ही यह स्पष्ट होता है कि कब तक यह समस्या बनी रहेगी।”
अब सवाल यह है…
आखिर गौशालाओं में कितने जानवर हैं और उनका प्रबंधन कैसे हो रहा है?
प्रशासन कब तक मौन बना रहेगा?
क्या जिम्मेदार अधिकारी इस समस्या को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं?
जनता और किसान अब जवाब मांग रहे हैं।
यह जरूरी नहीं है , कि जिम्मेदार अधिकारी स्थिति की गंभीरता को समझें और तत्काल कदम उठाएं — ताकि सड़कें सुरक्षित हों और किसानों की मेहनत बर्बाद न हो।