
बीएमओ बनाम कर्मचारी: अस्पताल में विवाद, जनता परेशान स्वास्थ्य तंत्र की खिंचाई: मऊगंज अस्पताल में मारपीट, थाने तक पहुंचा मामला
संवाददाता – मुस्ताक अहमद
मऊगंज (रीवा) – पहले से ही अव्यवस्था और संसाधनों की कमी को लेकर चर्चा में रहने वाला मऊगंज सिविल अस्पताल एक बार फिर विवादों में घिर गया है। सोमवार को अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) डॉ. प्रद्युम्न शुक्ला और अस्पतालकर्मी हिंछलाल मिश्रा के बीच तीखी बहस के बाद झूमाझटकी की नौबत आ गई। मामला इतना बिगड़ गया कि दोनों पक्ष अपनी-अपनी शिकायत लेकर मऊगंज थाने पहुंच गए।
भेदभाव और नियमों की अनदेखी बना विवाद की वजह
सूत्रों के अनुसार, विवाद की शुरुआत कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और कार्यस्थल पर अनुशासन के दोहरे मापदंड को लेकर हुई। बताया जाता है कि अस्पताल में कर्मचारियों को लेकर लंबे समय से असंतोष था, जो सोमवार को खुलकर सामने आ गया। कहासुनी ने देखते ही देखते शारीरिक झड़प का रूप ले लिया।
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर फिर उठे सवाल लगा प्रश्न चिन्ह?
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मऊगंज ही नहीं, जिले के अधिकतर स्वास्थ्य केंद्र या तो डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहे हैं, या फिर वहां दवाइयों और जरूरी संसाधनों का घोर अभाव है। ऐसे में अस्पताल में कार्यरत जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी जब आपसी संघर्ष में उलझते हैं, तो मरीजों की सुरक्षा और सेवा की उम्मीदें और भी क्षीण हो जाती हैं।
जनता में आक्रोश, डगमगाया भरोसा
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अस्पताल में न तो समय पर इलाज मिल रहा है और न ही साफ-सफाई और व्यवहार की न्यूनतम मानक व्यवस्था। अब जब चिकित्सकीय अमला ही आपस में उलझ रहा है, तो आम मरीजों को न्याय और राहत कैसे मिलेगी?
थाना प्रभारी की प्रतिक्रिया
मऊगंज थाना प्रभारी ने बताया कि, “दोनों पक्षों से लिखित आवेदन प्राप्त कर लिए गए हैं। मामले की निष्पक्ष जांच कराई जा रही है। जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।”
बड़ा सवाल: क्या सुधरेंगी स्वास्थ्य सेवाएं?
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि जब तक जिला प्रशासन स्वास्थ्य तंत्र को लेकर गंभीर नहीं होगा और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक सुधार की उम्मीद बेमानी है।