पंचायतों में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा विकास, जिम्मेदार अधिकारी बने धृतराष्ट्र
भंवरखोह पंचायत में भ्रष्टाचार का खुला खेल, लाखों की राशि से हुआ घटिया निर्माण कार्य
सिंगरौली जिले में भ्रष्टाचार का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ता जा रहा है। लाखों की राशि खर्च कर निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, लेकिन गुणवत्ता और मानकों को ताक पर रखकर। जिम्मेदार अधिकारी शिकायतों के बाद भी चुप्पी साधे बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आवेदनों को बार-बार कलेक्टर और विभागीय अधिकारियों तक पहुँचाने के बावजूद न तो कोई जांच की गई और न ही किसी पर कार्रवाई हुई। इससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि भ्रष्टाचार की जड़ में जिम्मेदार अधिकारियों की भी भूमिका रही होगी जहां वर्ष 2024-25 में ग्राम पंचायत भंवरखोह अंतर्गत विभिन्न मदों से निर्माण कार्य कराए गए। जिनमें भारी अनियमितताओं और घटिया सामग्री का उपयोग सामने आया है। ग्रामीणों ने बताया कि:
1. चेकडेम निर्माण भट्ठी नाला, हटका (डीएमएफ मद – 25 लाख रुपये)
निर्माण में गिट्टी-सीमेंट की जगह बोल्डर और भक्सी डलवाई गई। मानक से कमजोर सामग्री का उपयोग कर डैम को बेहद कमजोर बना दिया गया।
2. चेकडेम निर्माण छिलवनी टोला, नाला हटका (डीएमएफ मद – 15 लाख रुपये)
कार्यस्थल पर कोई सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया। गिट्टी, सीमेंट और सरिया की मात्रा बेहद कम डलवाई गई। यहाँ भी बोल्डर और भक्सी का उपयोग कर डैम का निर्माण किया गया।
3. चेकडेम निर्माण, अंजनी सिंह पिता लछनधारी सिंह के घर के पास हटका (डीएमएफ मद – 15 लाख रुपये)
यहाँ भी बोर्ड नहीं लगाया गया। गिट्टी-सीमेंट और सरिया की जगह बोल्डर व भक्सी का इस्तेमाल किया गया। निर्माण की गुणवत्ता इतनी कमजोर है कि डैम कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है।
4. पुलिया निर्माण, उपेन्द्र कुमार बसोर के घर के पास हटका (विधायक निधि – 15 लाख रुपये)
पुलिया का निर्माण पट्टेदार उपेन्द्र कुमार बसोर के खेत में कराया गया। न तो सूचना बोर्ड लगाया गया और न ही कार्य मानक अनुरूप कराया गया।
ग्रामीणों की पीड़ा और प्रशासन की चुप्पी से ग्रामीणों का कहना है कि इन कार्यों को लेकर उन्होंने कई बार शिकायतें और आवेदन जिला कलेक्टर से लेकर संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाए। लेकिन भ्रष्टाचार के इन मामलों पर न तो कोई जांच हुई और न ही कार्रवाई। ग्रामीण मान रहे हैं कि अधिकारियों की चुप्पी ही यह साबित करती है कि भ्रष्टाचार की मिलीभगत कहीं न कहीं जिम्मेदारों तक है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और शासन से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से इन निर्माण कार्यों की जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, अन्यथा वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
