सीएमएचओ के संरक्षण में फल-फूल रहा अवैध मेडिकल कारोबार — अस्पताल के डॉक्टर ओपीडी छोड़ निजी क्लीनिक चलाने में व्यस्त, बीएमओ बोले: “कोई मेरी बात नहीं सुनता”
संवाददाता मुस्ताक अहमद
सादिका पवित्र – मऊगंज, रीवा |
रीवा से अलग होकर बना नवीन जिला मऊगंज आज अपनी खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और बढ़ते भ्रष्टाचार की वजह से सुर्खियों में है। यहां सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही और निजी कारोबार ने स्वास्थ्य विभाग की छवि को पूरी तरह धूमिल कर दिया है। आम जनता इलाज के लिए दर-दर भटक रही है, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि मौन हैं।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, सीएमएचओ डॉ. संजीव शुक्ला के कथित संरक्षण में जिलेभर में अवैध मेडिकल स्टोर्स और निजी जांच केंद्रों का कारोबार फल-फूल रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ही इस अवैध नेटवर्क का हिस्सा बताए जा रहे हैं।
सिविल अस्पताल में डॉक्टर गायब, मरीज बेहाल-
मऊगंज सिविल अस्पताल का हाल बेहद खराब है। ओपीडी में समय से पहले कुर्सियाँ खाली हो जाती हैं, जबकि मरीज लाइन में खड़े रह जाते हैं। अस्पताल में तैनात शिशु रोग विशेषज्ञ और हड्डी रोग विशेषज्ञ नियमित रूप से ड्यूटी से नदारद रहते हैं।
सूत्रों का कहना है कि ये ही डॉक्टर अस्पताल के ठीक बगल में स्थित एडवांस एक्स-रे सेंटर और निजी मेडिकल प्रतिष्ठान चलाने में लगे हैं। यह सीधे तौर पर सेवा शर्तों का उल्लंघन और सरकारी पद का दुरुपयोग है।
अस्पताल में आने वाले मरीजों का आरोप है कि डॉक्टर जानबूझकर उन्हें निजी क्लीनिक या जांच केंद्रों की ओर भेजते हैं, ताकि निजी कमाई बढ़ सके। इससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का विश्वास पूरी तरह कमजोर हो गया है।
बीएमओ प्रद्युम्न शुक्ला बोले — “हमारी कोई नहीं सुनता”
जब इस मुद्दे पर बीएमओ डॉ. प्रद्युम्न शुक्ला से मीडिया ने सवाल किया, तो उन्होंने खुद बेबस होकर कहा —“मैंने कई बार जिले के कलेक्टर और अधिकारियों को डॉक्टरों की लापरवाही की शिकायत दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। सभी अनदेखा कर देते हैं।”
बीएमओ की यह स्वीकारोक्ति अपने आप में बताती है कि जिले के स्वास्थ्य तंत्र में प्रशासनिक पकड़ कमजोर पड़ चुकी है और भ्रष्टाचार ने जड़ें जमा ली हैं।
जनता में आक्रोश, प्रशासन की चुप्पी पर सवाल-
मऊगंज के प्रबुद्ध नागरिकों और समाजसेवियों ने स्वास्थ्य विभाग की इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि जब सरकारी डॉक्टर खुद अवैध कारोबार और निजी हितों में लिप्त होंगे, तो जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
लोगों ने कलेक्टर और संभागीय आयुक्त से मांग की है कि वे इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराएं और सीएमएचओ डॉ. संजीव शुक्ला सहित उन सभी डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करें, जो अवैध गतिविधियों में शामिल हैं !
स्वास्थ्य तंत्र पर मंडरा रहा संकट –
मऊगंज जैसे नए जिले में जनता को उम्मीद थी कि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। सरकारी अस्पतालों में न डॉक्टर बैठते हैं, न दवाएं उपलब्ध हैं।
ऐसे में प्रशासन की चुप्पी और लापरवाही न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है, बल्कि जनता की जान के साथ खिलवाड़ भी बन चुकी है।
