
10 बेड की अनुमति पर 17 बेड का संचालन साफ सफाई की व्यवस्था भी ध्वस्त, रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण नहीं — स्वास्थ्य अधिकारी अरुण तिवारी की चुप्पी पर उठे सवाल
ब्यूरो रिपोर्ट
प्रयागराज, मेजा (उरुवा)।:- मेजा क्षेत्र के उरुवा स्थित कोढनिया गांव में नेशनल हाइवे के किनारे संचालित लक्ष्मी हॉस्पिटल इन दिनों स्वास्थ्य विभाग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ा रहा है, अस्पताल के संचालन में न तो स्वास्थ्य मानकों का पालन हो रहा है, न ही कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई है।
जानकारी के अनुसार, लक्ष्मी हॉस्पिटल को स्वास्थ्य विभाग से 10 बेड की अनुमति मिली थी, लेकिन मौके पर 17 बेड का संचालन किया जा रहा है। यही नहीं, अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण (Renewal) भी लंबे समय से नहीं हुआ है। इसके बावजूद साफ सफाई की व्यवस्था भी ध्वस्त अस्पताल का संचालन पूरी तरह जारी है।
साफ़ सफाई गंदगी का अम्बार
अस्पताल परिसर की स्थिति बेहद बदतर है। जगह-जगह गंदगी फैली हुई है, वार्डों में बदबू और मक्खियों का अंबार लगा रहता है। मरीजों के बेड गंदे और टूटे हुए हैं, वॉशरूम की हालत तो और भी भयावह है — न पानी की सही व्यवस्था है और न ही सफाईकर्मी दिखाई देते हैं।
कचरे के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है, मेडिकल वेस्ट खुले में फेंका जा रहा है, जो संक्रमण फैलाने का बड़ा कारण बन सकता है, स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार शिकायत के बाद भी सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ।
हास्पिटल में सुव्यवस्था के नाम पर अव्यवस्था का साम्राज्य
अस्पताल में सफाई व्यवस्था बदहाल है, उपकरणों का रखरखाव शून्य है और योग्य पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है, स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां मरीजों से इलाज के नाम पर मनमाने पैसे वसूले जाते हैं, जबकि सुविधाएं न के बराबर हैं।
“यहां न डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति होती है, न कोई इमरजेंसी की सुविधा। मरीजों की जान पूरी तरह किस्मत पर टिकी रहती है,” — स्थानीय निवासी ने बताया।
लक्ष्मी हास्पिटल के संचालक लक्ष्मी कांत बिंन्द वार्ता के दौरान संचालक की सफाई में झोल सादिका पवित्र संवाददाता ने अस्पताल के संचालक लक्ष्मी कांत बिंद से इन अनियमितताओं को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए बात को टालने की कोशिश की।
संचालक ने कहा कि “हमारी सेवा व्यवस्था ठीक है,” जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट नजर आई।
स्वास्थ्य अधिकारी की निष्क्रियता पर सवाल
मामले की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी अरुण तिवारी तक पहुंच चुकी है, लेकिन अब तक विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
स्थानीय लोगों में सवाल उठ रहा है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग आंख मूंदकर कैसे ऐसे अस्पतालों को लोगों की जान से खिलवाड़ करने दे रहा है?
जनता की मांग — आखिर क्यों स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी चुप्पी साधे मौन है
ग्रामीणों और समाजसेवियों ने जिलाधिकारी एवं सीएमओ से इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग की है।
उनका कहना है कि बिना रजिस्ट्रेशन और मानक से विपरीत चल रहे सभी अस्पतालों की जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी अनहोनी को रोका जा सके।
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मेजा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, जहां स्वास्थ्य विभाग को जनहित में सख्ती करनी चाहिए, वहीं अधिकारियों की चुप्पी ने निजी अस्पतालों को मनमानी करने की खुली छूट दे रखी है, यह लापरवाही किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।