
खाद्य विभाग के दफ्तर में बाबू बना अधिकारी, जनता की सुनवाई ठप – शिकायतों पर पर्दा, घूसखोरी और मनमानी से तंग जनता ने उठाई जांच की मांग
ब्यूरो रिपोर्ट
📌 (मिर्जापुर/लालगंज) – लालगंज तहसील के खाद्य विभाग में भ्रष्टाचार और मनमानी का बोलबाला अब खुलकर सामने आने लगा है। बताया जा रहा है कि विभाग का एक क्लर्क (बाबू) खुद को खाद्य आपूर्ति निरीक्षक से भी ऊपर मानते हुए सप्लाई इंस्पेक्टर बर्दी नाथ गुप्ता की कुर्सी पर कब्जा जमाए बैठा है। नतीजा ये कि जनता की फाइलें महीनों तक धूल खा रही हैं और हर काम के लिए खुलेआम रिश्वत की मांग की जा रही है।
लालगंज तहसील का खाद्य विभाग जवाबदेही की कमी, अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की जड़ों से जकड़ा हुआ है। बाबू का अधिकारी की कुर्सी पर बैठना केवल अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर सीधा प्रहार है।
सूत्रों की मानें तो यह बाबू विभाग में रंगदारी स्टाइल में काम कर रहा है – राशन कार्ड अपडेट से लेकर कोटेदारों की फाइल पास कराने तक, हर कार्य में पैसे की खुली वसूली की जा रही है। विभागीय अधिकारी पूरे प्रकरण पर चुप्पी साधे बैठे हैं, जिससे संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं ये मिलीभगत का मामला तो नहीं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की नीतियों और गरीबों के लिए बनी योजनाओं को यह बाबू अपने फायदे के लिए लूट का जरिया बना चुका है।
जनता और कोटेदारों की परेशानी:
गांव-गांव के कोटेदारों और राशन उपभोक्ताओं का आरोप है कि लालगंज खाद्य विभाग में “नोटों का सिस्टम” खुलेआम चल रहा है – फाइल तभी चलती है जब पैसा चलता है। शिकायतें तहसील पर ही ठप अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
जनता का कहना है कि “खाद्य विभाग” अब जनसेवा का केंद्र नहीं, बल्कि वसूली का अड्डा बन गया है। फाइलों पर कार्रवाई सिर्फ पैसे के हिसाब से होती है, जबकि गरीब और पात्र उपभोक्ता महीनों दफ्तर के चक्कर लगाते रहते हैं।
जनता उच्च अधिकारी से गुहार कर रही है कि खाद्य विभाग में चल रहे इस भ्रष्टाचार और कुर्सी कब्जे के खेल की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके।
प्रशासन और सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल:
जिलाधिकारी मिर्जापुर और खाद्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। राज्य सरकार की “भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन” की नीति की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही प्रशासनिक पारदर्शिता पर जोर दे रहे हों, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि लालगंज तहसील में बाबू का साम्राज्य कायम है और अधिकारी मुकदर्शक बने हुए हैं।