कार्यकर्त्री अनीता की अनदेखी बनी मासूमों के भविष्य में बाधा, पोषण और शिक्षा दोनों प्रभावित”
📍 मिर्जापुर (हलिया)। :- सरकार की योजनाएं चाहे जितनी भी बेहतरीन हों, यदि उन्हें जमीनी स्तर पर ठीक से लागू नहीं किया जाए तो उनका लाभ जनता तक नहीं पहुंच पाता। इसका ताजा उदाहरण मिर्जापुर जनपद के हलिया ब्लॉक के सिगटा गांव में देखने को मिला है, जहां आंगनबाड़ी केंद्र की हालत बदहाल है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र समय पर नहीं खुलता, और कई बार पूरे दिन बंद ही रहता है। बच्चों को न तो नियमित रूप से पोषण आहार मिल रहा है और न ही पूर्व-प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा संचालित महिला एवं बाल विकास योजनाओं की हकीकत हलिया क्षेत्र में बिल्कुल अलग कहानी बयां करती है। यहां के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र समय पर नहीं खुलते, और जब कभी खुलते हैं, तो उनमें बच्चों को देने के लिए न तो पोषण आहार होता है और न ही अन्य बुनियादी सुविधाएं।
सवालों के घेरे में सिमटा कार्यकर्त्री अनीता देवी की भूमिका
ग्रामीणों ने कार्यकत्री अनीता देवी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि वे मनमर्जी से केंद्र चलाती हैं और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं। समय पर न खुलना, पोषण आहार में अनियमितता और शैक्षणिक गतिविधियों की अनदेखी आम बात हो गई है।
केंद्रों पर लटकते ताले, भूखे लौटते मासूम बच्चे आखिरी क्यों?
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र सुबह 8:25 बजे के निर्धारित समय पर नहीं खुलते। कई बार पूरे दिन ताले लटके रहते हैं, और दोपहर 12 बजे से पहले ही काम समेट लिया जाता है। इसका खामियाजा उन मासूम बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है, जो पोषण आहार की आस में केंद्र पहुंचते हैं लेकिन खाली हाथ लौटते हैं।
पोषण आहार का दुरुपयोग, बाजार में बिक्री तक की शिकायतें
सूत्रों के अनुसार, कई केंद्रों में दी जाने वाली सामग्रियों का निजी उपयोग किया जाता है। कार्यकर्ता और सहायिका घर ले जाकर पोषण सामग्री का प्रयोग करते हैं। कुछ स्थानों पर बाजार में बेचने की बात भी सामने आई है। वहीं, एक्सपायरी सामग्री मवेशियों को खिला दी जाती है या फेंक दी जाती है।
केंद्रों की हाजिरी सिर्फ कागजों तक रह गई सीमित चुप्पी साधे मौन उच्च अधिकारी
कई आंगनबाड़ी केंद्र केवल फाइलों में सक्रिय हैं। हलिया सिगटा में आंगनवाड़ी कार्यकर्ती अनीता देवी की मेहरबानी से न बच्चों की उपस्थिति दर्ज होती है, न शैक्षिक गतिविधियां होती हैं। पर्यवेक्षण और निरीक्षण केवल औपचारिकता बनकर रह गए हैं। कुर्सियाँ खाली पड़ी रहती हैं, और रजिस्टर झूठे आंकड़ों से भरे रहते हैं।
हलिया सिगटा में प्रशासनिक चुप्पी से बढ़ा मनोबल, नहीं होती कोई उच्च कार्रवाई
चौंकाने वाली बात यह है कि विभागीय अधिकारियों को इन अनियमितताओं की जानकारी होने के बावजूद किसी भी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं होती। पर्यवेक्षक महीनों तक निरीक्षण नहीं करते, जिससे भ्रष्टाचार करने वालों के हौसले बुलंद हैं।
क्या योजनाएं सिर्फ कागज़ों में सिमटकर दम तोड जाएंगी?
महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं का उद्देश्य बच्चों को पोषण, शिक्षा और सुरक्षा देना है। लेकिन हलिया ब्लाक जैसे क्षेत्रों में यह उद्देश्य भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ चुका । यदि तत्काल हस्तक्षेप न हुआ, तो क्षेत्र के हजारों बच्चों और महिलाओं का भविष्य अधर में रहेगा।
जनता की मांग: हो निष्पक्ष जांच, जिम्मेदारों पर कार्रवाई
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि:
केंद्रों की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
लापरवाह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
पोषण आहार वितरण की स्वतंत्र निगरानी समिति का गठन किया जाए।
