संस्थानों की निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीश जस्टिस उमेश कुमार बने पर्यवेक्षक | सिविल कोर्ट को सौंपी गई प्रबंधकीय विवाद की जिम्मेदारी | स्वतंत्र चार्टर्ड अकाउंटेंट करेगा त्रैमासिक ऑडिट
ब्यूरो रवि शंकर गुप्ता
सादिका पवित्र – प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शहर के दो प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों—बॉयज हाईस्कूल एंड कॉलेज (BHS) और गर्ल्स हाईस्कूल एंड कॉलेज (GHS)—को लेकर वर्षों से चले आ रहे विवाद पर शुक्रवार को अहम और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने आदेश दिया है कि अब दोनों स्कूलों के बैंक खाते प्रधानाचार्य (Principal), जिला अधिकारी (DM) और पुलिस आयुक्त (Commissioner of Police) की ओर से संयुक्त रूप से संचालित किए जाएंगे।
यह आदेश ‘द इलाहाबाद हाईस्कूल सोसाइटी’ और अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनाया गया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संस्थानों का प्रशासनिक संचालन अब निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से सुनिश्चित किया जाएगा।
पूर्व न्यायाधीश को बनाया गया पर्यवेक्षक
हाईकोर्ट ने संस्थानों के सुचारु प्रबंधन और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस उमेश कुमार को पर्यवेक्षक (Observer) नियुक्त किया है। उन्हें स्कूलों के रिकॉर्ड की जांच करने और निगरानी रखने का अधिकार होगा।
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि प्रयागराज में ही एक स्वतंत्र चार्टर्ड अकाउंटेंट को नियुक्त किया जाए, जो दोनों संस्थानों का त्रैमासिक ऑडिट करेगा।
पर्यवेक्षक को स्कूल परिसरों में कार्यालय प्रदान करने का आदेश दिया गया है, जहां वे अपनी सुविधा के अनुसार बैठ सकेंगे। प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी होगी कि वे आवश्यक बुनियादी ढांचा और स्टाफ की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
लंबे समय से चला आ रहा विवाद हुआ खत्म-
‘द इलाहाबाद हाईस्कूल सोसाइटी’ प्रयागराज के इन दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों का संचालन करती है। इन संस्थानों पर नियंत्रण को लेकर वर्षों से सीआईपीबीसी (Church of India, Pakistan, Burma and Ceylon) और सीएनआई (Church of North India) के बीच कानूनी संघर्ष चल रहा था।
हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए कहा कि अब प्रबंधकीय विवाद का अंतिम निस्तारण सिविल कोर्ट के माध्यम से किया जाए।
13 रिट याचिकाओं का हुआ एक साथ निस्तारण-
इस फैसले के साथ ही हाईकोर्ट ने इस विवाद से जुड़ी कुल 13 रिट याचिकाओं का निस्तारण भी कर दिया। कोर्ट के इस आदेश से न केवल संस्थानों के वित्तीय और प्रशासनिक संचालन में पारदर्शिता आएगी, बल्कि छात्रों और अभिभावकों में व्याप्त अनिश्चितता भी दूर होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह आदेश बीएचएस और जीएचएस जैसे ऐतिहासिक शिक्षण संस्थानों में स्थिरता और सुशासन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। अब प्रशासनिक नियंत्रण न्यायिक निगरानी में रहेगा और वित्तीय लेनदेन पारदर्शी प्रक्रिया से होगा।
