
मध्य प्रदेश सिंगरौली।
दफ्तर में तरह-तरह की चर्चाएं, गुरूवार के शाम 4 बजे के बाद नही हुई रजिस्ट्रियां
सिंगरौली। जिला मुख्यालय बैढ़न एवं देवसर उप पंजीयक का दफ्तर शुक्रवार को नही खुला। जबकि उप पंजीयक देवसर में उपस्थित रहने का सेवा प्रदाताओं को बताया था। लेकिन देवसर दफ्तर भी नही पहुंचे। चर्चाएं हैं कि उप पंजीयक गुपचुप तरीके से जिला मुख्यालय से बाहर हैं। रीवा, सतना या भोपाल इन्ही तीन शहरों में जाने की चर्चाएं हैं।
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय बैढ़न सिंगरौली में पिछले 8 वर्षो से पदस्थ बहुचर्चित उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार पदस्थ हैं। उप पंजीयक के कार्यकाल में अनेको कारगुजारी हैं। जिसको लेकर लगातार वरिष्ठ अधिकारियों के यहां शिकायतें भी हो रही हैं। करीब सवा सौ करोड़ रूपये के रजिस्ट्री के हेरफेर एवं शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने तथा अनियमितता के आरोप में महानिरीक्षक पंजीयक मुद्रांक भोपाल के द्वारा निलंबित कर दिया गया था। किंतु डेढ़ महीने के अंदर तत्कालीन महानिरीक्षक उप पंजीयक मुद्रांक के द्वारा यही बहाल कर सिंगरौली में ही कार्य करने का अवसर प्रदान कर दिया गया।
इसके बाद चर्चित उप पंजीयक ने एक कदम आगे और बढ़ कर अनियमितता करना शुरू कर दिया। अभ्यारण्य बगदरा के प्रतिबंधित भूमि झपरहवा गांव की 30 एकड़ रजिस्ट्री का मामला अभी ठण्डा नही हुआ है। पीड़ित पक्ष संजय कुमार जायसवाल निवासी खटाई न्याय के लिए महानिरीक्षक पंजीयक मुद्रांक भोपाल के यहां भी दौड़ लगा चुका है। आश्वासन के अलावा कुछ भी हाथ नही लगा। इधर बताते चले कि जिले में इकलौता उप पंजीयक हैं।
चितरंगी, देवसर उप पंजीयक का भी अशोक सिंह परिहार के पास अतिरिक्त प्रभार है। चितरंगी-देवसर कब जाते हैं, यह तो उप पंजीयक एवं वहां के सेवाप्रदाता तथा क्रेता-विक्रेता ही अच्छी तरह से बता पाएंगे। उधर बीते दिन गुरूवार की शाम 4 बजे के बाद से उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार अचानक कहीं चले गये और उन्हीं के द्वारा सेवाप्रदाताओं को बताया कि शुक्रवार को देवसर दफ्तर में उपस्थित रहूंगा।
लेकिन देवसर के कई सेवाप्रदाता ने बताया कि शुक्रवार को उप पंजीयक नही आये थे। 15-20 दिनों में उनके दर्शन होते हैं। पिछले 8 वर्षो से जिले में पदस्थ हैं और मनमानी कार्य करते हैं। इनके नजदीकी एक रिश्तेदार का पूरा कामकाज में दखल रहता है। फिलहाल उप पंजीयक बैढ़न व देवसर में शुक्रवार को ताला बंद था। उप पंजीयक कहां गये, इस बात को लेकर सेवाप्रदाताओं में तरह-तरह की चर्चाए की जा रही हैं।
तबादले का सता रहा डर, नेताओं के यहां परिक्रमा
दरअसल उप पंजीयक अशाोक सिंह परिहार पिछले 8 वर्षो से सिंगरौली में पदस्थ हैं। जहां उन्हें अब इस बात का डर सताने लगा है कि कहीं स्थानांतरण नीति के तहत तबादला न हो जाये। हालांकि भाजपा सरकार ने तबादला नीति का कितना पालन हो रहा है, वह जग जाहिर है। यह बात किसी से छुपी नही है। यहां बताते चले कि उप पंजीयक खुद तबादला के लिए पत्र लिखा है, यह तो केवल दिखावा के लिए बताया जा रहा है कि यहां से उप पंजीयक जाने के लिए इच्छुक हैं। लेकिन पर्दे के पीछे कहानी कुछ और बताई जा रही है। चर्चाएं है कि तबादला रूकवाने के लिए बड़े नेताओं एवं विभागीय अधिकारियों यहां परिक्रमा चल रही है। इसमें कितनी सच्चाई है, इसे तो उप पंजीयक ही बता पाएंगे।
स्लॉड का टोकन जनरेट था इसके बावजूद रजिस्ट्रियां नही हुई
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय बैढ़न-सिंगरौली में रजिस्ट्रियों के स्लॉड का टोकन जनरेट था। करीब 40 रजिस्ट्रियां हुई थी और करीब आधा सैकड़ा से अधिक स्लॉड का टोकन जनरेट होने के बावजूद करीब दर्जन भर रजिस्ट्रियां नही हो पाई। उप पंजीयक अचानक गुरुवार शाम 4 बजे कहीं चलते बने। बताया जाता है कि इस दौरान दर्जन भर क्रेता -विक्रेता के साथ-साथ सेवाप्रदाता भी मिन्नत करते रहे। फिर भी उप पंजीयक पर कोइ भी असर नही पड़ा। अपने काम का व्यस्तता बताने लगे। अब ऐसे क्रेता -विक्रेता को रजिस्ट्री कराने के लिए अलग से तिथि तय होगी। तभी उनकी रजिस्ट्री हो पाएगी। कई विक्रेता का आरोप है कि उप पंजीयक की यहां मनमानी चल रही है।