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बांग्लादेश से नकली करेंसी आने की सूचना पर अलर्ट मोड पर एटीएस की टीम एटीएस चीफ मोहित अग्रवाल

संवादाता राष्ट्रीय:- यूपी एटीएस चीफ मोहित अग्रवाल ने बताया कि यूपी एटीएस ने लगातार बांग्लादेश से नकली करेंसी आने की सूचना पर अलर्ट मोड पर थी।
यूपी एटीएस ने 27 जनवरी को दीपक कुमार और चंदन सैनिक और 6 फरवरी को अंकुर मौर्य और विपिन गुप्ता उर्फ अवनीश को गिरफ्तार किया, इनके कब्जे से 97,500 और 45 हजार रुपए की नकली करेंसी बरामद हुई।
वहीं 7 फरवरी को इस गैंग का मास्टर अच्छेलाल चौरसिया उर्फ बच्चा को वाराणसी के पांडेयपुर थाना क्षेत्र से 1,51,500 रुपए कीमत के नकली नोट के साथ गिरफ्तार किया गया।
फरवरी में इस गैंग का मास्टर अच्छेलाल चौरसिया उर्फ बच्चा को वाराणसी से गिरफ्तार किया गया।
फ्लाइट से आते-जाते, कमीशन पर खेल
एटीएस की जांच में आया है कि नकली नोट में कई गिरोह देश और प्रदेश में सक्रिय है।
एजेंट मोटे कमीशन पर इसकी सप्लाई का काम कर रहे हैं।
आजमगढ़ रोड स्थित लालपुर घनश्याम डिग्री कालेज वाराणसी से पकड़े गए दीपक कुमार और चंदन सैनिक इसका उदाहरण मात्र हैं
कभी गांजा सप्लाई कर मामूली अपराधियों की तरह जिंदगी जीने वाले आजकल फ्लाइट पर सफर करने लगे थे।
इनकी गिरफ्तारी के दौरान पश्चिम बंगाल आने जाने के फ्लाइट और ट्रेन के एसी टिकट बरामद हुए थे।
यूपी एसटीएफ ने चंदन को दीपक के साथ वाराणसी से गिरफ्तार किया था, तस्करी में छोटे बच्चों का होता है प्रयोग
सूत्रों की मानें तो ये बंडल 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक के होते हैं।
गांव के छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें कुली कहा जाता है, उन बंडलों को उठाकर गांव में संबंधित व्यक्ति तक पहुंचा देते हैं।
बच्चों का प्रयोग इसलिए किया जाता है ताकि पकड़े जाने पर उनके खिलाफ जुवेनाइल एक्ट के तहत कम से कम सजा होगी।
गांव से यह बंडल फरक्का पहुंचा दिए जाते हैं, यहां रेलवे स्टेशन पास होने के चलते दिल्ली, दक्षिण भारत, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में ये नोट आसानी से लाए जा जाते हैं।
सोशल मीडिया से खोजते थे ग्राहक
पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह लोग सोशल मीडिया के माध्यम से नकली नोट खपाने के लिए कस्टमर खोजते थे।
वहीं लोग जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में इनकी बातों में फंस जाते थे। इसके बात तय जगह पर मिलकर किसी अनजान के जरिए
नक़ली करेंसी बैंककर्मी भी नहीं रहे पहचान
नकली नोट पकड़े जाने के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) व दूसरे बैंकों के अधिकारी भी चक्कर में पड़ जाते थे।
हालांकि विशेषज्ञ बैंक कर्मी तो तकनीकी के जरिए नकली नोट की पहचान कर लेते हैं लेकिन इसमें पब्लिक फंस जाती है
। इसका ही सबूत है कि लखनऊ के महानगर थाने में पिछले 6 सालों में RBI की तरफ से 44 FIR नकली नोट जमा करने की दर्ज हो चुकी है।
उम्र कैद तक सजा का प्रावधान
जाली नोट में पकड़े जाने वाले पर आरोप सिद्ध होने पर आईपीसी की धारा 489-बी के तहत 10 साल से उम्र कैद तक सजा हो सकती है। यह एक गैर-जमानती धारा है।
कब-कब हुई एफआईआर
साल एफआईआर
2018 -01 , 2019 -08, 2020- 03 ,2021 -07 ,2022 -11 ,2023 -12 ,2024 -02
सूत्रों के मुताबिक अभी तक की जांच में सामने आया है कि यह लोग ग्रामीण इलाकों में रेहड़ी से लेकर गांवों की बाजारों और छोटी दुकानों में इन नोटों को खपा रहे हैं।
वहीं अपने टूल्स के तौर पर सब्जी बेचने वाले, टैक्सी ड्राइवर और गुमटी वालों को इस्तेमाल कर रहे हैं।
खुफिया एजेंसी से लेकर पकड़े गए आरोपियों से भी बांग्लादेश से नकली नोटों के सप्लाई को लेकर खुलासा हो चुका है, बावजूद इसके इन नकली नोटों पर लगाम नहीं लग पा रहा है
यूपी में बांगलादेश ने नकली नोट सप्लाई करने वाले गिरोह का सरगना से एटीएस अन्य मुख्य सप्लायर के विषय में जानकारी जुटा रही है।
देश में नकली करेंसी खपाने वालों ने अपना नया ठिकाना बना लिया है।
नेपाल की बजाए बांग्लादेश से नकली नोट छापने की प्रिंटिंग प्रेस चला रहे हैं, वहां से पश्चिम बंगाल के मालदा के रास्ते यूपी में भारी मात्रा में नकली नोट सप्लाई कर रहे हैं।
यह खुलासा तब हुआ जब यूपी ATS ने नकली नोट छापने वाले गिरोह के सदस्य को गिरफ्तार हुए।
दीपक नकली नोट लखनऊ और आसपास के जिलों में सप्लाई करता है।
अब छोटे नोटों के भी बना रहे क्लोन, खतरा कम
जांच में सामने आया है कि यह सप्लायर बड़े नोट के साथ छोटे नोट भी छापने लगे हैं, क्योंकि इनके पकड़े जाने का खतरा कम होता है और बजार में भी ज्यादा लोगों के मिलान न करने पर दिक्कत नहीं होती।
इसका ही नतीजा है कि बजार में अब 10, 20, 50 और 100 के भी नकली नोट मिलने लगे हैं,
अभी तक 200 और 500 ही बजार में प्रचलित थे।
नकली नोट के सप्लायर को मिलता था 30 से 40%कमीशन
एटीएस की जांच में सामने आया है कि यह लोग पंश्चिम बंगाल के मालदा क्षेत्र के जाली नोट तस्करों से लाते हैं।
जहां भारी मात्रा ने नकली नोट छापे जा रहे थे, यह लोग वहां से रुपए लाकर यूपी के अलग-अलग जिलों में चलाने के लिए कैरियर को दे देते हैं।
इसमें सप्लायरों को 30 से 40 परसेंट तक कमीशन दिया जाता है।
इनमें छोटे दुकानदारों से लेकर नशे के लती और युवाओं का इस्तेमाल हो रहा था।
जिनकी समय-समय पर स्थानीय पुलिस और STF की टीम धरपकड़ करती रहती है।
