बिना किसी सुरक्षा उपकरण के रस्सी के सहारे सीवर की सफाई के लिए उतरे सफाई कर्मी की दम घुटने से हुई मौत
संवादाता (उ.प्र.) वाराणसी ::- राजघाट पर रविदास मंदिर के सामने सीवर की सफाई के लिए शुक्रवार को मैनहोल में उतरे ठेका सफाईकर्मी घूरे लाल की मौत हो गई। उनके साथी सुनील भी जहरीली गैस के प्रभाव में आए हैं।
हालांकि वह खतरे से बाहर हैं ,दोनों सफाईकर्मी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के रस्सी के सहारे सीवर की सफाई के लिए मैनहोल में उतरे थे।
एनडीआरएफ ने की 3 घंटे मशक्कत
एनडीआरएफ की टीम ने तीन घंटें की मशक्कत के बाद घूरे लाल को बाहर निकालकर मंडलीय अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने मौत की पुष्टि की।
जिलाधिकारी ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं, इसकी जिम्मेदारी डिप्टी कलेक्टर राजस्व को सौंपी गई है।
दिन में करीब तीन बजे मछोदरी के रहने वाले ठेका सफाईकर्मी घूरे लाल सहयोगी सुनील संग राजघाट पहुंचे व रस्सी के सहारे मैनहोल में उतर गए। उनके तीन साथी ऊपर रुक गए थे।
कुछ देर बाद घूरे की आवाज आनी बंद हो गई तो सुनील ने बाहर आकर नीचे जहरीली गैस होने की बात बताई उनके साथियों ने इसकी जानकारी सुपरवाइजर बाबू यादव को दी, यह पता चलते ही बाबू यादव मौके से फरार हो गया।
साथियों ने इसके बाद पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची राजघाट पुलिस ने एनडीआरएफ को बुलाया।
घूरे लाल करीब 15 वर्षों से सीवर सफाई कार्य से जुड़े थे, वह गोला घाट स्थित सीवेज पंपिंग स्टेशन पर 12,000 रुपये महीने पर ठेकेदार के अधीन काम करते थे। पत्नी चंदा ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं।
दो बेटियां नौंवीं, एक बेटा आठवीं व एक सातवीं में पढ़ता है ,बताया कि डेढ़ माह पहले बाइक दुर्घटना में बड़े बेटे 18 वर्षीय आजाद की मौत हो गई थी।
सीवर सफाई का काम देख रही कंपनी लीलावती कंस्ट्रक्शन ने घूरे लाल के स्वजन को दस लाख रुपये की आर्थिक मदद दी है।
दिशा- निर्देशों का नहीं होता पालन
मैनुअल स्कैवेंजिंग कानून 2013 और सुप्रीम कोर्ट के 20 अक्टूबर 2023 के आदेश अनुसार किसी भी सफाई कर्मचारी को बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर-सेप्टिक टैंक में उतारना दंडनीय अपराध है, जुर्माना और जेल दोनों का प्रविधान है।
कानून के अनुसार सफाईकर्मी की सुरक्षा के लिए आक्सीजन मास्क, जूते, सेफ्टी बेल्ट आदि 59 प्रकार के उपकरण होने चाहिए।
एंबुलेंस की व्यवस्था भी होनी चाहिए, लेकिन ठेकेदार सफाई कर्मियों को बिना उपकरण उतार देते हैं।