मऊगंज में स्थापना दिवस समारोह के मंच से बोले बीजेपी सांसद — नशा रोकना प्रशासन या नेताओं के बस की बात नहीं, परिवार निभाए जिम्मेदारी
बयान पर कांग्रेस ने किया पलटवार, बोली— महिलाओं को नीचा दिखाकर बच नहीं सकते भाजपा नेता, सरकार बताए क्या यही ‘बेटी बचाओ’ नीति है?
संवाददाता – मुस्ताक अहमद
सादिका पवित्र – मऊगंज (रीवा)।- अक्सर अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले रीवा से बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा एक बार फिर चर्चा में हैं। नवगठित मऊगंज जिले में आयोजित मध्य प्रदेश स्थापना दिवस समारोह में सांसद मिश्रा ने ऐसा बयान दे दिया जिसने सियासत को गर्मा दिया है। उन्होंने कहा— “अब लड़के ही नहीं, लड़कियां भी पी रही हैं। नशा बंद करना मेरे बस की बात नहीं है।”
कार्यक्रम के दौरान मंच से बोलते हुए सांसद ने कहा कि नशे की समस्या का समाधान केवल प्रशासन, पुलिस या नेताओं के बूते की बात नहीं है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा— “नशा बंद करना मेरे या किसी आईएसपी या विधायक के बस की बात नहीं है। जब तक माता-पिता अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक नशा खत्म नहीं होगा।”
उन्होंने पारिवारिक संवाद की कमी को नशे के फैलने का प्रमुख कारण बताया। जनार्दन मिश्रा ने कहा— “पहले परिवार साथ बैठकर खाना खाते थे, बातचीत होती थी, जिससे बच्चों की गतिविधियों की जानकारी रहती थी। अब ऐसा नहीं होता। यही वजह है कि बच्चे गलत राह पकड़ लेते हैं।”
सांसद ने आगे कहा— “आज लड़कियां भी पी रही हैं। इस पर माता-पिता को ध्यान देना होगा। अगर कोई बच्चा छह महीने तक कोरेक्स जैसे नशे का आदी हो जाए, तो उसे सुधारना बहुत मुश्किल होता है। फिर उसके नशे की आदत ब्रह्मा भी नहीं बदल सकता।”
कांग्रेस ने साधा निशाना: महिलाओं का अपमान बताया बयान
सांसद के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा—
“बीजेपी के सांसद लगातार महिलाओं के खिलाफ असंवेदनशील बयान दे रहे हैं। यह वही पार्टी है जो ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात करती है, लेकिन उसके नेता सार्वजनिक मंचों से महिलाओं को नीचा दिखाते हैं।”
उन्होंने कहा कि सांसद को अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि जब सत्ता में बैठे लोग महिलाओं को नशे से जोड़कर मज़ाक बनाते हैं, तो समाज में महिलाओं की छवि पर क्या असर पड़ता है?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी ट्वीट कर निशाना साधा—
“बीजेपी के सांसद कहते हैं लड़कियां भी पी रही हैं, और फिर नशा रोकने से हाथ खड़े कर देते हैं। सवाल है— सरकार और उसके प्रतिनिधि आखिर कर क्या रहे हैं?”
बीजेपी समर्थकों की सफाई: कहा— समाज सुधार की नीयत से बोले सांसद
वहीं, भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने सांसद के बयान का बचाव करते हुए कहा कि जनार्दन मिश्रा का उद्देश्य समाज को जागरूक करना था, न कि किसी वर्ग या लिंग को निशाना बनाना। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि सांसद ने केवल यह संदेश दिया कि परिवारों को अपने बच्चों की परवरिश और निगरानी की जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी चाहिए।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में पुराना विवाद फिर उभरा-
गौरतलब है कि हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी एक बयान में कहा था कि “प्रदेश की महिलाएं अब सबसे ज्यादा शराब पी रही हैं।” उस समय भी राजनीतिक माहौल गर्म हो गया था। अब बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा का बयान उसी बहस को फिर से हवा देता दिख रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी साल में ऐसे बयान सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों के लिए “डबल एज्ड तलवार” साबित हो सकते हैं— क्योंकि एक तरफ समाज में नशे के बढ़ते चलन पर चिंता वाजिब है, लेकिन दूसरी तरफ “महिलाओं पर टिप्पणी” राजनीतिक विवाद का कारण बन जाती है।
