जिला चिकित्सालय ट्रॉमा सेंटर में नर्सो के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से मरीज परेशान
खुले में रखी दवाइयाँ और लापरवाह व्यवस्था से मरीज बेहाल
सिंगरौली। जिला चिकित्सालय ट्रॉमा सेंटर एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है। जहां एक ओर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करते नहीं थकते, वहीं दूसरी ओर अस्पताल में अव्यवस्थाओं और लापरवाही के नज़ारे साफ़ तौर पर देखने को मिल रहे हैं। मरीजों की परेशानियाँ लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। मामला तब और गंभीर हो गया जब ट्रॉमा सेंटर में दवा वितरण को लेकर मरीजों से लाइन में खड़े होकर दवा लेने की मजबूरी सामने आई। दवा वितरण कक्ष के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखने को मिलीं, जहाँ मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा। कुछ मरीजों ने बताया कि जब वे दवा लेकर लौटते हैं, तो उन्हें इंजेक्शन या दवा लगाने में काफी देर हो जाती है, जिससे कई बार स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ जाता है। मरीजों की शिकायतें नर्सो की लापरवाही और ऊंची आवाज़ में व्यवहार से बढ़ी परेशानी मरीजों ने बताया कि अस्पताल के स्टाफ द्वारा न केवल लापरवाही की जा रही है बल्कि कई बार ऊंची आवाज़ में बात कर मरीजों को डांट-फटकार दी जाती है। यह स्थिति मरीजों के लिए तनाव का कारण बन रही है।
खुले में रखी दवाएं बनी खतरा…
अस्पताल परिसर में खुले में रखी दवाओं की तस्वीरें भी सवाल खड़े करती हैं। गर्मी और धूल-मिट्टी के बीच रखी गई दवाओं के खराब होने का खतरा बना रहता है, जिससे संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। जानकारों के मुताबिक, इस तरह की लापरवाही सीधे मरीजों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है।
सिविल सर्जन नदारद, अधिकारी बने मूकदर्शक
जब इन सभी मामलों पर सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की गई तो बताया गया कि वह अस्पताल में मौजूद ही नहीं थीं। अधिकारियों की गैरमौजूदगी और जवाबदेही के अभाव ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। अस्पताल के कर्मचारियों का रवैया भी उदासीन बताया जा रहा है।
जनप्रतिनिधियों पर फूटा मरीजों का गुस्सा,,?
अस्पताल पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों ने जनप्रतिनिधियों पर भी जमकर भड़ास निकाली। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि केवल फोटो खिंचवाने या उद्घाटन के समय आते हैं, लेकिन अस्पताल की वास्तविक स्थिति पर कोई ध्यान नहीं देते। बेडशीट गंदी हैं, कई वार्डों में चादरें नहीं हैं, दवाओं की कमी है, और डॉक्टरों की संख्या भी बेहद कम है बेहतर व्यवस्था की मांग को लेकर स्थानीय लोगों और मरीजों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए त्वरित कदम उठाए जाएं। अस्पताल में दवा वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाया जाए, स्टाफ को संवेदनशीलता की ट्रेनिंग दी जाए और जिम्मेदार अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए यदि ट्रॉमा सेंटर की ये अव्यवस्थाएँ इसी तरह जारी रहीं तो किसी बड़ी दुर्घटना या मरीज की जान को खतरा होना कोई नई बात नहीं होगी। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को अब गंभीरता से कदम उठाने होंगे, वरना “बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं” के दावे केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएंगे।
