
विद्यालय के पास बन रहा पेट्रोल पंप, ग्रामीणों में रोष, प्रशासन मौन, छात्रों की सुरक्षा दांव पर!
आखिर कैसे मिला पेट्रोल पंप को विद्यालय के पास बनाने परमिशन ?
सिंगरौली। जिले के देवसर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत कुन्दवार में इन दिनों एक गंभीर जनहित मामला लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। गांव के प्राथमिक विद्यालय एवं शासकीय हाई स्कूल के मात्र 5 मीटर की दूरी पर एक पेट्रोल पंप का निर्माण किया जा रहा है, जिससे न केवल छात्रों की सुरक्षा संकट में है, बल्कि गांव में भय, आक्रोश और असंतोष का माहौल बन गया है।
क्या है मामला?
ग्राम कुन्दवार में आराजी नं. 130/1 पर एक निजी कंपनी द्वारा पेट्रोल पंप की स्थापना की जा रही है। यह स्थल, आराजी नं. 326 पर संचालित सरकारी विद्यालयों से सिर्फ 5 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थिति को देखते हुए ग्रामवासियों और विद्यालय प्रशासन ने कई बार आपत्ति जताई है। ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि यदि कोई दुर्घटना, आगजनी या रिसाव की स्थिति उत्पन्न होती है, तो प्रत्यक्ष रूप से सबसे पहले इसका प्रभाव मासूम छात्रों और शिक्षकों पर पड़ेगा। नजदीकियों के कारण यह स्थान फायर सेफ्टी, एनवायरनमेंट सेफ्टी और ट्रैफिक सेफ्टी के मानकों पर पूरी तरह खरा नहीं उतरता।
शिकायतों का इतिहास, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं
ग्राम पंचायत और उपसरपंच द्वारा दिनांक 24.01.2024, 23.07.2024 एवं 18.09.2025 को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, जिला कलेक्टर, जनपद पंचायत, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को लिखित शिकायतें भेजी गईं, लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। दूसरी बार आवेदन दिए जाने के बावजूद भी निर्माण कार्य बेरोक-टोक जारी है। इससे ग्रामीणों में गहरी नाराजगी व्याप्त है।
विद्यालय प्रशासन की चिंता – “बच्चों की जान के साथ खिलवाड़”
विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर वे बेहद चिंतित हैं। “पेट्रोल पंप की इतनी नजदीकी में स्थापना से न केवल बच्चों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ेगा, बल्कि यदि कोई आकस्मिक दुर्घटना होती है, तो यह पूरा परिसर प्रभावित हो सकता है।”
ग्रामीणों का आरोप
* प्रस्तावित पेट्रोल पंप के लिए कोई सार्वजनिक सहमति नहीं ली गई।
* पर्यावरणीय अनुमति या एनओसी प्राप्त नहीं की गई।
* गलत नक्शे और दस्तावेज़ के आधार पर अनुमति ली गई।
* निर्माण से पूर्व किसी प्रकार की जनसुनवाई नहीं कराई गई, जो कि अनिवार्य प्रक्रिया का हिस्सा है।
जन आंदोलन की चेतावनी
गांव के उपसरपंच ने कहा है कि यदि जल्द ही प्रशासन द्वारा निर्माण पर रोक नहीं लगाई जाती है और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती, तो गांववाले सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे। उन्होंने इसे बच्चों के भविष्य और गांव की सुरक्षा से जुड़ा विषय बताया।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
इस गंभीर मुद्दे पर अब तक जिला प्रशासन, जनपद पंचायत और अन्य जिम्मेदार विभागों की चुप्पी आश्चर्यजनक और चिंताजनक है। सवाल उठता है कि क्या जनसुरक्षा और बच्चों की जान की कीमत पर निजी संस्थानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है?
क्या कहती हैं नियमावली?
राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पेट्रोलियम नियमावली के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों से एक निश्चित दूरी (आमतौर पर 500 मीटर या अधिक) पर ही पेट्रोल पंप की स्थापना अनुमन्य होती है। इस प्रकरण में यह स्पष्ट रूप से उल्लंघन प्रतीत हो रहा है। एक ओर सरकार “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसी योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर बच्चों के जीवन और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रशासन की निष्क्रियता नीति और व्यवहार के बीच विरोधाभास को उजागर करती है।
ग्रामवासियों और विद्यालय प्रशासन की मांग
* पेट्रोल पंप के निर्माण कार्य पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए।
* संपूर्ण प्रकरण की निष्पक्ष जाँच की जाए।
* दोषी अधिकारियों और संबंधित कंपनी पर विधिक कार्रवाई की जाए।
अब देखना यह है कि क्या जिला प्रशासन जनभावनाओं का सम्मान करता है, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।