पार्षदों का सत्ता संघर्ष बना प्रशासनिक चुनौती, “मेयर इन काउंसिल” कक्ष पर जबरन कब्जा
नगर पालिक निगम सिंगरौली में एक अजीब और गंभीर घटना सामने आई है। वार्ड क्रमांक 33 की पार्षद एवं मेयर इन काउंसिल सदस्य – श्रीमती रुक्मुन देवी ने वार्ड क्रमांक 40 की पार्षद व नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष – श्रीमती सीमा जायसवाल पर गंभीर आरोप लगाया है कि उन्होंने “मेयर इन काउंसिल” कक्ष पर जबरन कब्जा कर लिया। रुक्मुन देवी ने इसे अतिक्रमण, अपमान और आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाने वाला कृत्य बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है। पत्र में रुक्मुन देवी ने लिखा है कि वार्ड क्रमांक 40 की पार्षद – सीमा जायसवाल ने नगर पालिक निगम के कानून और प्रावधानों की अवहेलना करते हुए उनके अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ की है, जबकि नियम के मुताबिक वार्ड प्रतिनिधियों का ऐसा कोई अधिकार नहीं है। रुक्मुन देवी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह सामाजिक रूप से अपमानजनक और पद की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला मामला है। काबिल- ए-गौर हो कि नगर निगम में फरियादी पार्षद और महापौर आम आदमी पार्टी से हैं, जबकि आरोपी पार्षद भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष है।
परिषद अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष भाजपा के हैं, जबकि नगरीय निकाय अधिनियम 1956 के अनुसार नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष का कोई औपचारिक प्रावधान नहीं है। एफआईआर की धमकी और प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग ने इस विवाद को कानूनी स्तर तक पहुँचा दिया है।सिंगरौली नगर निगम में यह विवाद केवल व्यक्तिगत टकराव नहीं है, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक संतुलन की भी बड़ी चुनौती है। आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों के बीच सत्ता संघर्ष ने स्थानीय प्रशासनिक निर्णयों और निगम की कार्यप्रणाली पर भी असर डालना शुरू कर दिया है।
नगर निगम के नियम और अधिनियमों में नेता प्रतिपक्ष के औपचारिक अधिकार न होने के बावजूद, भाजपा सक्रिय रूप से विपक्ष की भूमिका निभा रही है, जिससे सत्ता संघर्ष और भी जटिल हो गया है। लोगों का मानना है कि यदि इस विवाद को समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसका असर केवल पार्षदों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नागरिक सेवाओं और प्रशासनिक निर्णयों की गति पर भी पड़ सकता है। पत्र में नगर निगम आयुक्त, विधायक, पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाना प्रभारियों को एफआईआर दर्ज करने और आवश्यक कार्यवाही करने के लिए निर्देशित करने की बात भी कही गई है। सिंगरौली के राजनीतिक गलियारों में इसे पार्षदों के बीच सत्ता संघर्ष और व्यक्तिगत प्रतिशोध के रूप में देखा जा रहा है। खास बात यह है कि नगर निगम के इस तरह के विवादों का सीधे तौर पर जनता और प्रशासन पर भी असर पड़ सकता है। यह घटना स्थानीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया की कमजोरियों को भी उजागर करती प्रतीत हो रही है।
निगमायुक्त ने कहा:
आयुक्त नगर पालिक निगम सिंगरौली – सविता प्रधान का कहना है कि…घटनाक्रम की जानकारी और शिकायत मिली है, समिति का गठन कर जांच कराई जाएगी, जांच रिपोर्ट के अनुसार कार्यवाही होगी। यह सही है कि नगरीय निकाय अधिनियम 1956 के अनुसार नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष का कोई प्रावधान नहीं है।
