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जौनपुर की MP/MLA कोर्ट ने दोषी करार दिया ,हाईकोर्ट में करेंगे अपील, धनंजय सिंह ने अपहरण मामले में सात साल की सजा के बाद कही ये बात
संवादाता (उ.प्र.) जौनपुर :- बुधवार को पूर्व सांसद धनंजय सिंह और सहयोगी संतोष विक्रम सिंह की पेशी के दौरान जिला कारागार से लेकर कोर्ट तक समर्थकों की भारी भीड़ लगी रही।
समर्थकों ने धनंजय भईया जिंदाबाद के नारे लगाए। ,इस दौरान पुलिस-प्रशासन की टीम भी अलर्ट मोड में रही।
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का करीब तीन साल दस महीने पहले अपहरण कराने, रंगदारी मांगने और गालीगलौज कर धमकाने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सात-सात साल की सजा के अलावा अर्थदंड भी लगाया गया है।
सजा सुनाए जाने के बाद पूर्व सांसद ने कहा कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट में हो रहे भ्रष्टाचार का मामला उठाने पर ये कार्यवाही हुई है।
अब मामले को लेकर हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
यह था मामला
मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम सिंह और दो अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
अभिनव सिंघल का आरोप था कि संतोष विक्रम सिंह और अन्य दो लोग पचहटिया स्थित साइट पर आए थे, वहां से असलहे के बल पर चारपहिया वाहन से उनका अपहरण कर मोहल्ला कालीकुत्ती स्थित धनंजय सिंह के घर ले जाया गया।
धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आया और गालीगलौज करते हुए उनकी फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगा, उनके इन्कार करने पर धमकी देते हुए धनंजय ने रंगदारी मांगी।
किसी प्रकार से उनके चंगुल से निकलकर लाइन बाजार थाने गए और आरोपियों के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की पुलिस ने धनंजय सिंह को उसके आवास से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से वह न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर धनंजय जेल से बाहर आया था।
वादी और गवाह मुकर गए थे अपने बयान से रंगदारी और अपहरण के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह की ओर से अदालत में दलील दी गई कि उनके ऊपर लगे आरोप निराधार हैं।
वादी और उसका गवाह अपने बयान से मुकर गए हैं। उन्हें रंजिश में गलत तरीके से फंसाया गया है।
इस पर एमपी-एमएलए कोर्ट की अदालत ने कहा कि किसी सांसद या विधायक को यह हक या फिर अधिकार नहीं है कि वह किसी सरकारी कर्मचारी को फोन करके जबरन अपने घर बुलाए मामला पूर्ण रूप से अभियुक्तों के विरुद्ध साबित
अदालत ने कहा कि इस मामले में वादी को यदि अभियुक्तों से कोई डर, भय, परेशानी नहीं थी या फिर किसी तरह का कोई विवाद नहीं था तो क्यों उसके द्वारा घटना के तुरंत बाद अपने उच्चाधिकारियों को फोन किया गया। एसपी से मुलाकात की गई और थाने जाकर तहरीर दी गई।
मामला पूर्ण रूप से अभियुक्तों के विरुद्ध साबित है।
रंजिश में फंसाने का कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सके
अदालत ने कहा कि अभियुक्तों का कहना है कि उन्हें रंजिश में फंसाया गया है ,मगर, न्यायालय के समक्ष अभियुक्तों ने ऐसा कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया, जो यह साबित करता हो कि उन्हें रंजिशन फंसाया गया है।
मामले में वादी मुकदमा या अन्य साक्षीगण की निश्चित तौर पर अभियुक्तगण से पूर्व की कोई रंजिश नहीं है