शराब दुकानों पर नहीं लगे क्यूआर कोड , प्रदेश आबकारी आयुक्त के निर्देशों की अनदेखी
ज़िले में संचालित शराब दुकानों में नहीं लगे रेट सूची के क्यूआर स्कैनर
सिंगरौली प्रदेश के आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल द्वारा सभी जिलों के सहायक आबकारी आयुक्तों और जिला आबकारी अधिकारियों को जारी किए गए निर्देशों का जिले में पालन नहीं हो रहा है। आयुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि प्रदेश की सभी फुटकर मदिरा दुकानों पर निर्धारित न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) और अधिकतम विक्रय मूल्य (MRP) की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दुकानों पर QR कोड लगाए जाएँ और 20 जून तक यह कार्य पूरा कर लिया जाए। इन QR कोड्स को स्कैन करने पर उपभोक्ता प्रति ब्रांड वास्तविक विक्रय मूल्य (MSP एवं MRP) की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। बावजूद इसके जब संबंधित टीम ने जिले की दुकानों का औचक निरीक्षण किया तो कहीं भी QR कोड नहीं लगे पाए गए — जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आदेशों का पालन शून्य स्तर पर है।
उपभोक्ता संरक्षण व राजस्व सुरक्षा
आबकारी आयुक्त ने अपने निर्देश में बताया था कि कुछ जिलों से अभी भी दुकानों पर MSP से कम और MRP से अधिक दाम पर मदिरा विक्रय की शिकायतें मिल रही हैं। MSP से कम बिक्री करने पर शासन को राजस्व हानि होती है, वहीं MRP से अधिक वसूली उपभोक्ताओं के साथ अनैतिक व्यवहार और अवैध वसूली की श्रेणी में आता है। इसलिए उपभोक्ताओं को वास्तविक और प्रचलित विक्रय मूल्य की जानकारी उपलब्ध कराना विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए QR कोड स्कैनिंग व्यवस्था लागू करने और हर दुकान पर संबंधित दुकान-विशेष QR कोड चस्पा कराने की व्यवस्था ई-आबकारी पोर्टल के माध्यम से कर दी गई है।
निरीक्षण में मिली चौंकाने वाली अनदेखी
जिले के शराब दुकानों का जब टीम ने जायजा लिया तो QR कोड कहीं नहीं मिले। वहीँ दुकानदारों के यहां अक्सर प्रचलित ब्रांडों के दाम के खुलेआम अटकलें और भिन्न दाम लगाए जाने की स्थितियाँ बनी रहती हैं, जिससे उपभोक्ता भ्रमित और परेशान हैं। आदेश की अंतिम तिथि 20 जून बीत जाने के बाद भी ज़िले में इसका अनुपालन न होना यह दर्शाता है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा निर्दोष अनुपालन की मॉनिटरिंग या प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही।
आबकारी आयुक्त के निर्देश
आदेश के मुताबिक ई-आबकारी पोर्टल पर प्रत्येक जिले की समस्त मदिरा दुकानों के लिए QR कोड डाउनलोड करने का विकल्प उपलब्ध कराया गया है। इस QR कोड को उस दुकान के दृश्य और सार्वजनिक स्थान पर चस्पा करना आवश्यक है। QR कोड स्कैन करते ही प्रदेश में पंजीकृत समस्त मदिरा ब्रांडों के MSP एवं MRP की जानकारी उपभोक्ता के पास आ जाएगी, जिससे अनियमित विक्रय पर नीकत्र नियंत्रण संभव होगा। साथ ही निर्देश स्पष्ट थे कि औचक निरीक्षण में अगर किसी दुकान पर QR कोड नहीं मिलेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उपभोक्ता और समाज के लिए क्या मायने रखता है यह कदम
QR कोड आधारित पारदर्शिता उपभोक्ता के हित में एक सकारात्मक कदम है। इससे खरीदारों को पता चल सकेगा कि कौन-सा ब्रांड किस दाम पर बिक्री के लिए निर्धारित है और दुकानदार द्वारा भाव अधिक वसूलने का स्पष्ट प्रमाण मिलेगा। साथ ही शासन का राजस्व भी सुनिश्चित रहेगा क्योंकि MSP से कम कीमत पर बिक्री करने की घटनाओं की पहचान आसान होगी। लेकिन निर्देश पर अमल तभी सार्थक होगा जब स्थानीय प्रशासन सक्रिय निगरानी, तेजी से शिकायत निवारण और समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करे।
क्यूआर आदेश की व्यवस्था का लोगो ने किया था सपोर्ट
आदेश और व्यवस्था अच्छी है पर उसका अनुपालन सुनिश्चित करना स्थानीय प्रशासन की पहली जिम्मेदारी है। QR कोड नहीं लगे होने की बात सिर्फ एक तकनीकी कमी नहीं, बल्कि उपभोक्ता संरक्षण और राजस्व बचाव की दिशा में एक गंभीर लापरवाही का संकेत है। जिला प्रशासन को न सिर्फ जांच कर कार्रवाई का आश्वासन देना चाहिए, बल्कि पारदर्शिता की वास्तविकता दिखाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, अन्यथा उपभोक्ता और शासन दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा।
कार्रवाई का आश्वासन
जब इस संबंध में जिला आबकारी अधिकारी सतीश कश्यप से बात की गई तो उन्होंने कहा, “हम जाँच करवाते हैं, जैसा भी होगा कार्रवाई की जाएगी।
