
मांण्डा बीच चौराहे पर किराए के कमरे में बिना नाम-पता, पंजीकरण और लाइसेंस के चल रहा अवैध उपचार केंद्र, चन्द पैसों की बचत के लिए मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ – विभागीय उदासीनता बनी बड़ी वजह
ब्यूरो सुरेश चंद्र मिश्रा
प्रयागराज (माण्डा) – स्थानीय क्षेत्र माण्डा के बीच चौराहे पर विगत कई वर्षों से एक बड़ा खुला खेल चल रहा है। यहां हैदर अली नामक व्यक्ति बिना किसी लाइसेंस और पंजीकरण के अवैध रूप से क्लीनिक चला रहे हैं। न नाम-पता का बोर्ड, न मेडिकल काउंसिल की मान्यता, न ही कोई वैधानिक पंजीकरण नंबर – इसके बावजूद मरीजों का इलाज बेरोकटोक जारी है।
जब इस बाबत हैदर अली से पूछा गया तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि वे वर्षों से किराए के कमरे में लोगों का उपचार कर रहे हैं। लाइसेंस और बोर्ड की बात उठते ही उन्होंने चुप्पी साध ली और यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि “हमको यहां सब लोग जानते हैं और हम बहुत बड़े डॉक्टर नहीं हैं, इसी तरह इलाज करते आए हैं और आगे भी करेंगे।”
यह पूरा मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर कैसे बिना मेडिकल डिग्री और वैधानिक अनुमति के कोई व्यक्ति खुलेआम लोगों की जान से खेल सकता है? और इससे भी बड़ा सवाल – स्वास्थ्य विभाग, सीएमओ और प्रशासन अब तक कार्रवाई से क्यों बचते रहे?
सवाल सीधा-सीधा सीएमओ और स्वास्थ्य विभाग से है –
क्या विभाग को इस अवैध क्लीनिक की जानकारी नहीं है?
अगर है, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
क्या जिम्मेदार अधिकारी जनता की जिंदगी से खिलवाड़ में मौन दर्शक बने रहेंगे?
ग्रामीणों का कहना है कि चन्द पैसों की बचत और स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी का सीधा खामियाजा गरीब जनता भुगत रही है। मजबूरी में लोग इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते हैं और अपनी जिंदगी को खतरे में डालते हैं। कई बार मामूली बीमारियां भी गलत इलाज की वजह से गंभीर रूप ले लेती हैं।
उच्च अधिकारियों की चुप्पी और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता ही ऐसे फर्जी डॉक्टरों के हौसले बुलंद कर रही है। सवाल यह उठता है कि अगर विभाग और सीएमओ जैसे जिम्मेदार अधिकारी ही आंख मूंद लेंगे तो जनता की जिंदगी की जिम्मेदारी कौन लेगा?
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। अब सबकी निगाहें स्वास्थ्य विभाग और सीएमओ पर टिकी हैं कि क्या वे इस अवैध धंधे पर रोक लगाएंगे या फिर जनता इसी तरह जोखिम उठाने को मजबूर रहेगी।