
1108 दीपकों से जगमगाया कंजवार विद्यालय शिक्षक ने बच्चों संग रचा ज्ञान और सद्भाव का दीपोत्सव
कंजवार/ सीधी। शिक्षा को समाज के हर कोने तक पहुँचाने के मिशन के साथ कार्यरत शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय, कंजवार इस दीपावली एक अद्भुत दृश्य का साक्षी बना। विद्यालय परिसर सोमवार की शाम 1108 दीपकों की रौशनी से आलोकित हो उठा, जब प्रधानाध्यापक शैलेंद्र प्रताप सिंह बालेन्दु ने बच्चों, अभिभावकों और ग्रामीणों के साथ मिलकर “ज्ञान और सद्भाव का दीपोत्सव” मनाया। हर दीपक ने एक संदेश दिया — “अंधकार नहीं, प्रकाश फैलाना है; निराशा नहीं, विश्वास जगाना है।” पूरे विद्यालय प्रांगण में दीपों की जगमगाहट के साथ बच्चों के चेहरों पर शिक्षा के उजाले की चमक साफ झलक रही थी। इस अनोखे आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें विद्यालय, विद्यार्थी और समुदाय — तीनों एक साथ जुड़े, जो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उस उद्देश्य को साकार करता है जिसमें शिक्षा को सामाजिक आंदोलन के रूप में देखने की बात कही गई है।
प्रधानाध्यापक शैलेंद्र सिंह ने कहा “हर बच्चा एक दीपक है, बस उसे जलाने के लिए विश्वास और अवसर चाहिए। जब विद्यालय और समाज एक साथ आएँ, तो शिक्षा का हर कोना जगमगा उठता है।” आयोजन के दौरान बच्चों ने दीप सज्जा प्रतियोगिता, प्रेरक नारों की प्रदर्शनी और सांस्कृतिक गीतों के माध्यम से वातावरण को प्रेरणादायी बना दिया। विद्यालय के प्रत्येक कोने में दीपों से बनी पंक्तियों ने यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि संस्कार और सामाजिक चेतना का उत्सव है।
ग्रामवासियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि “शैलेंद्र सिंह जैसे शिक्षक ने विद्यालय को मंदिर बना दिया है, जहाँ हर दीप में ज्ञान और संस्कार की लौ जलती है।” विद्यालय ने हाल के वर्षों में अनेक नवाचारों से अपनी पहचान बनाई है। ‘साप्ताहिक प्रधानाध्यापक योजना’ के तहत बच्चों में नेतृत्व और उत्तरदायित्व की भावना विकसित की जा रही है। समुदायिक सहयोग से पाँच लाख रुपये एकत्र कर विद्यालय का कायाकल्प किया गया। 500 पौधों वाला ‘क्यूआर कोड उद्यान’ (बिरसा मुंडा उद्यान) पर्यावरण संरक्षण और डिजिटल शिक्षा का अनूठा उदाहरण बना छात्र-छात्राओं के चयन नवोदय, सैनिक स्कूल और ओलंपियाड परीक्षाओं में विद्यालय के उत्कृष्ट शैक्षिक वातावरण का प्रमाण हैं।1108 दीपकों से जगमगाता यह दीपोत्सव न केवल पर्व का प्रतीक रहा, बल्कि एक शिक्षक के समर्पण और समाज की भागीदारी से उपजे उजाले की कहानी भी बन गया। इस आयोजन ने यह सन्देश दिया कि जब विद्यालय समाज के साथ साँस लेता है, तब शिक्षा में सच्चे अर्थों में परिवर्तन दिखाई देता है।