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आखिरकार विषम परिस्थिति के साथ किस प्रकार से होगा न्याय स्वयं की गलती छुपाने के लिए तहसीलदार साहब दिखाते हैं रौब

भीमसेन शर्मा (म.प्र.)सिंगरौली।:- प्लाट वितरण की प्रक्रिया को लेकर विस्थापितों में हो रही है विवाद की स्थिति उत्पन्न आखिर? किस नियमानुसार किया जा रहा है प्लाट वितरण विस्थापितों का कहना है कि प्लाट मौखिक रूप से कभी लिखित रूप से कुछ विस्थापितों को उनके स्वयं की इच्छा अनुसार मनमानी तरीके से प्लाट वितरण किया गया।
यही मनमानी तरीके से प्लांट वितरण पर विवादों की स्थिति होने लगे उत्पन्न।
पूर्व भू अर्जन अधिकारी के द्वारा जांच कर खाली स्थान पर निर्माण किए गए मकान को उसी के नाम से लिखित रूप से आवंटित किया गया परंतु इसी के मौके का फायदा उठाकर पटवारी एवं अन्य अधिकारियों के द्वारा मनमानी तरीके से कृपा बरसाई गई जिससे विवाद दिन प्रतिदिन बढ़ता गया।
प्लाट क्रमांक किसी और के नाम से और मकान निर्माण किसी और काआख़िर कैसे??
विस्थापितों का कहना है कि जांच कर या नियमानुसार प्लाट वितरण किया जाता तो विवाद की स्थिति उत्पन्न नहीं होती प्रशासन एवं कंपनी प्रबंधन के द्वारा विस्थापितों को आपस में भिड़ाने का षड्यंत्र रचा गया।
आखिर मकान किसी और का और प्लाट आवंटित किसी और को यह स्थिति निर्मित कैसे हुई?? यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि इसमें कहीं ना कहीं पटवारी एवं अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही या कहा जाए कि मौन रवैया के कारण हुआ !
अवैध रूप से निर्माण करने वाले व्यक्तियों को बाकायदा नोटिस देकर उन्हें आगाह कर खाली होने के बाद किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित करना न्याय संगत होता।
स्वयं की गलती छुपाने के लिए तहसीलदार साहब दिखाते हैं रौब
नियमा अनुसार प्लांट वितरण न होने की वजह से विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर कहीं ना कहीं तहसीलदार की भी शिथिलता या लापरवाही का हीं नतीजा है।
अपनी गलतियों को छुपाने में विस्थापितों पर झाड़ते हैं रौब मकान गिरने एवं सलाखों में डालने की देते हैं धमकियां।
आखिर विस्थापितों के साथ किस प्रकार से होगा न्याय??
कुछ विस्थापित जो कि कई वर्षों से परियोजना के संबंधित क्षेत्र के निवासी हैं।
उन्हें प्लाट ना मिलकर कुछ महीने पहले आए विस्थापितों को मनमाने स्थान पर प्लाट दिया गया परंतु कई वर्षों से निवासी परिवारों को उपेक्षित किया गया। या विवादों में उलझा दिया गया।
आखिर कैसे बिना प्लाट कटिंग एवं नम्बर के मकानो का हुआ निर्माण???
कॉलोनी के अंदर टावर लाइन एरिया के समीप जहां हाय विद्युत लाइन पास होने के कारण प्लाट नंबर या प्लाट कटिंग नहीं किया गया था वहां मंजिलों मकान निर्माण हुए क्या यह प्रशासन की सहमति नहीं तो क्या? आखिर मकान निर्माण होने तक कैसे नहीं पड़ी प्रशासन की नजर।
आखिर इस तरह की गतिविधियों से क्यों है तहसीलदार साहब अनजान।
कारखासो को प्लाट दिलाने के लिए तोड़ा गया मकान
सूत्रों की मानें तो साहब के करखास को उसकी सुविधा के मुताविक हॉस्पिटल के पास स्थित प्लाट को कब्जा कराने के लिए साहब ने आननफानन में आकर बने बनाए लाखों रुपए की लागत वाले मकान को तोड गिराया।
आख़िर इस तरह के सैकड़ो मामले न्यायालय में विचाराधीन है, तो साहब को को इतनी जल्दी क्यों??
पुश्तैनी निवासी और विस्थापित होने के कारण जो व्यक्ति पात्र है और मकान निर्माण कर चुका हैं तो बने हुए स्थान पर ही प्लाट आवंटित करने में आपत्ति क्यों???
दिन प्रतिदिन विस्थापितों की समस्या बढ़ने से विस्थापित करेंगे उग्र आंदोलन
विस्थापित परिवारों का पूर्व में कई आश्वासनों के बाद भी नहीं हो पा रहा है निराकरण इसी प्रकार से पुनर्वास कॉलोनी में भी खड़े हुए विवाद के संबंध में उग्र आंदोलन कर पूर्ण रूप से ट्रांसपोर्ट बंद कर कर आंदोलन करने के रणनीति बनाई जा रही है।
