
क्या आप तैयार हैं इस बदलाव के लिए?
आजादी के 79 साल बाद भी सिंगरौली अपने हक से वंचित है। यहाँ की जमीन, यहाँ के संसाधन और यहाँ के लोगों की मेहनत का लाभ राज्य सरकार और बाहरी मंत्री उठा रहे हैं। डीएमएफ और CSR का फंड, जो स्थानीय विकास के लिए होना चाहिए, भोपाल की राजनीति की भेंट चढ़ रहा है।
परिणाम— सिंगरौली में सड़कों की हालत बदतर, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं, युवाओं को रोजगार नहीं, और गांव-गांव में पेयजल संकट। जबकि यहाँ की खदानें, बिजलीघर और उद्योग पूरे प्रदेश और देश को ऊर्जा दे रहे हैं।
अब सवाल यह है— क्या हम चुपचाप गुलामी सहते रहेंगे? या जाति और पार्टी की सीमाओं से ऊपर उठकर अपने हक के लिए आवाज़ बुलंद करेंगे?
साफ है— सिंगरौली का असली विकास तभी संभव है जब यहां की कमान स्थानीय हाथों में हो। और यह तभी होगा जब सिंगरौली मध्य प्रदेश से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बने। तभी मिलेगा— उचित मुआवजा, स्थानीय युवाओं को नौकरी, बेहतर शिक्षा-चिकित्सा, मजबूत सड़क-बिजली-पानी की सुविधा।