 
        माडा रेंज के जंगलों में अनियंत्रित कटाई और अवैध कब्जा, जिम्मेदार अधिकारी क्यों साधे हैं चुप्पी,,?
सिंगरौली। मध्य प्रदेश का सिंगरौली जिला, जिसे देश की ऊर्जा राजधानी कहा जाता है, अब जंगलों की बेतहाशा कटाई और अवैध कब्जों के कारण सुर्खियों में है। जिले के माडा रेंज क्षेत्र में बीते कुछ समय से लगातार हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। हालात यह हैं कि आए दिन दर्जनों से लेकर सैकड़ों पेड़ काटे जा रहे हैं और जंगल की जमीन पर अवैध झोपड़ियां और खेती का विस्तार हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों और सूत्रों के अनुसार, माडा रेंज के अलग-अलग हिस्सों में लकड़ी माफिया खुलेआम सक्रिय हैं। ये माफिया हरे-भरे पेड़ों को काटकर उन्हें बाजार तक पहुंचाते हैं और मोटा मुनाफा कमाते हैं। हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी गतिविधियां होने के बावजूद वन विभाग और जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
विभागीय मिलीभगत के बिना संभव नहीं!
लोगों में चर्चा यह भी है कि विभागीय मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी लापरवाही संभव नहीं हो सकती। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर वन विभाग गंभीरता से कार्रवाई करता तो माफियाओं का इतना हौसला नहीं बढ़ता। लेकिन अभी तक न तो किसी बड़े गिरोह पर शिकंजा कसा गया है और न ही अवैध कब्जों को हटाने की कोई ठोस कार्रवाई हुई है।
जंगल उजड़ने से बढ़ रहा पर्यावरणीय संकट
सिंगरौली जिला जहां देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वहीं यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है। लेकिन लगातार हो रही कटाई और कब्जों ने पर्यावरणीय संतुलन पर खतरे की घंटी बजा दी है। जंगलों के उजड़ने से वन्यजीवों का आवास नष्ट हो रहा है और क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते कटाई और कब्जों पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले वर्षों में सिंगरौली का हरियाली भरा स्वरूप खत्म हो जाएगा। इससे न केवल पर्यावरण पर बुरा असर पड़ेगा बल्कि आमजन के स्वास्थ्य पर भी गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
लोगों में बढ़ रहा आक्रोश
ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों में इस मुद्दे को लेकर गहरा आक्रोश है। कई बार प्रशासन और वन विभाग को लिखित शिकायतें दी गईं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जाती रही। लोगों का कहना है कि जंगल उनका सहारा है, लेकिन अब उनकी जड़ों पर ही कुल्हाड़ी चलाई जा रही है।
आखिर कब जागेंगे जिम्मेदार,,?
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर जिम्मेदार अधिकारी कब इस ओर ध्यान देंगे? क्या माडा रेंज की हरियाली को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या फिर जंगल इसी तरह उजड़ते रहेंगे और माफियाओं का कब्जा चलता रहेगा? अगर सरकार और विभाग ने इस दिशा में ठोस रणनीति नहीं बनाई तो आने वाले समय में सिंगरौली की पहचान सिर्फ कोयले और प्रदूषण तक सीमित रह जाएगी।

 
         
         
        