
मध्यप्रदेश में फर्जी क्लिनिकों पर कार्रवाई जरूरी: कानून स्पष्ट, स्वास्थ्य से खिलवाड़ अस्वीकार्य
भोपाल। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में फर्जी क्लिनिक और बिना डिग्री वाले डॉक्टरों की बढ़ती संख्या जनता की जान के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी मोहल्लों तक कई जगह ऐसे क्लिनिक चल रहे हैं जिनके पास न तो चिकित्सक की वैध डिग्री है और न ही स्वास्थ्य विभाग से पंजीयन।
वैध क्लिनिक खोलने की प्रक्रिया
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मध्यप्रदेश में कोई भी चिकित्सक क्लिनिक या नर्सिंग होम तभी खोल सकता है जब वह रूज़ो उपचार अधिनियम, 2010 (Clinical Establishments Act) के तहत पंजीकृत हो।
केवल पंजीकृत चिकित्सक (MBBS, BAMS, BHMS, BDS, BUMS आदि) को यह अधिकार प्राप्त है।
आवेदन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) कार्यालय में किया जाता है।
भवन की सुरक्षा, बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन और आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता की जाँच के बाद ही स्वास्थ्य विभाग क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करता है।
फर्जी क्लिनिक अवैध, कार्रवाई के दायरे में
राज्य में अनेक स्थानों पर ऐसे लोग क्लिनिक चला रहे हैं जिनके पास कोई चिकित्सकीय योग्यता नहीं है। यह न केवल धोखाधड़ी है बल्कि मरीज की जान को खतरे में डालने जैसा अपराध है।
कानूनी प्रावधान क्या हैं जिनके तहत कार्यवाही होती है?
भारतीय नागरिक संहिता, 2023 (BNS 2023)
धारा 111: धोखाधड़ी और कपटपूर्ण प्रतिरूपण पर दंड।
धारा 112: जाली प्रमाणपत्र या दस्तावेज़ बनाने पर सजा।
धारा 115: धोखे से चोट या मृत्यु का कारण बनने पर कठोर दंड।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS 2023)
ऐसे मामले गंभीर श्रेणी (Cognizable Offence) में आते हैं।
पुलिस को अधिकार है कि बिना वारंट गिरफ्तारी करे और तत्काल FIR दर्ज करे।
रूज़ो उपचार अधिनियम, 2010
बिना पंजीयन क्लिनिक चलाना सीधा उल्लंघन है।
दोषियों पर जुर्माना, क्लिनिक सील और जेल तक की सजा का प्रावधान है।
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य संचालानालय के द्वारा मध्य प्रदेश के समस्त कलेक्टर को इस बाबत आदेश दिया गया है कि आपके जिले में जितनी भी फर्जी क्लिनिक हो सबके ऊपर कारवाई की जाए जबलपुर इंदौर जैसे जिलों में कार्रवाई हो भी रही है लेकिन बाकी जिलों में कार्रवाई बिल्कुल शून्य है और सिंगरौली जैसे जिलों में तो कभी कार्रवाई होती ही नहीं है.
जैसे -तैसे माड़ा स्थित संजीवनी क्लीनिक पर कार्रवाई की गई लेकिन अब भी सिंगरौली जिले में हजारों की संख्या में ऐसी अवैध और फर्जी क्लिनिक हैं हर गांव और हर एक गली में एक फर्जी बंगाली डॉक्टर बैठा हुआ है जिसको कुछ भी आता जाता नहीं है वहां पर डिग्री पाने का तरीका यही है कि अगर उसे बंगाली डॉक्टर के पास आकर कोई दूसरा व्यक्ति 6 महीने या साल भर रह लेता है तो वह भी अपने आप में डॉक्टर हो जाता है और वह ऐसे क्षेत्र में जाकर क्लीनिक खोल लेता है जहां पर लोगों में जानकारी का अभाव हो वह गांव पिछड़ा हो तथा दुर दराज क्षेत्र में हो जिससे कि लोगों को बेवकूफ बनाते बने और वहां पर जमकर कमाई होती है इन फर्जी डॉक्टर की बिल्डिंग पर बिल्डिंग बन जाती है और आम आदमी उनके द्वारा किए गए इलाज के कारण कई तरीके की बीमारियों से घिर जाता है.