भाजपा जिला कार्यकारिणी को लेकर जिले में मचा बवाल, सोशल मीडिया पर जमकर किरकिरी
सिंगरौली। भारतीय जनता पार्टी की हाल ही में घोषित जिला कार्यकारिणी अब विवादों में घिरती नज़र आ रही है। जिला अध्यक्ष द्वारा अपने चहेतों को पद दिलाने और संगठन में जातीय तथा क्षेत्रीय संतुलन की अनदेखी करने के आरोपों ने पार्टी के अंदर ही असंतोष को हवा दे दी है। कार्यकारिणी घोषित होने के 24 घंटे के भीतर ही वरिष्ठ भाजपा नेता राजेश तिवारी रज्जू ने जिला उपाध्यक्ष पद को ठुकराकर संगठन में भूचाल ला दिया। तिवारी के त्यागपत्र ने यह साफ कर दिया कि कार्यकारिणी में मनमानी और उपेक्षा की राजनीति हावी है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस घटनाक्रम से बैकफुट पर आ गया है और अब संगठनात्मक एकता पर भी सवाल उठने लगे हैं। सबसे गंभीर सवाल कार्यकारिणी में आदिवासी और अजा वर्ग के पुरुषों को जगह न मिलने को लेकर खड़े हो रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि देवसर और चितरंगी विधानसभा क्षेत्रों में लंबे समय से एक सुनियोजित रणनीति के तहत अजा-अजजा वर्ग के पुरुष नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है, ताकि इन इलाकों से कोई नया बड़ा नेता उभरकर सामने न आ सके। पार्टी के अंदरखाने चर्चाएं यह भी हैं कि दिग्गज नेताओं को अपनी-अपनी कुर्सी का डर सताता रहता है, जिसके चलते संगठन में नए चेहरों के लिए जगह ही नहीं बन पाती।
कोषाध्यक्ष की नियुक्ति पर सवाल !
जिला कार्यकारिणी में सबसे ज्यादा विवादित नियुक्ति अंजनी जायसवाल को कोषाध्यक्ष बनाए जाने की है। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अंजनी जायसवाल कभी संगठन में सक्रिय नहीं रहे। उनका दायरा हमेशा ओबी कंपनियों तक सीमित रहा है। बावजूद इसके उन्हें कोषाध्यक्ष जैसे अहम पद पर नियुक्त करना कई सवाल खड़े करता है। कार्यकर्ताओं की चर्चा है कि अंजनी जायसवाल किस भाजपा नेता के “पसंददीदा” बन गए, जिनके सहारे उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिल गई। सूत्रों का कहना है कि इस कार्यकारिणी में ऐसे नेताओं को भी पद दिए गए हैं जिन्होंने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी का खुलकर विरोध किया था और यहां तक कि त्यागपत्र भी दिया था। ऐसे विवादित चेहरों को कार्यकारिणी में जगह मिलने से पार्टी के भीतर असंतोष और गहरा गया है।
सोशल मीडिया पर किरकिरी
कार्यकारिणी घोषित होने के बाद से ही सोशल मीडिया में भाजपा संगठन की जमकर किरकिरी हो रही है। कार्यकर्ताओं और समर्थकों का आरोप है कि जिला अध्यक्ष ने संगठनात्मक मजबूती और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर अपने खास लोगों को पदों पर बैठाया है। लगातार पोस्ट और टिप्पणियों से पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। इन घटनाक्रमों ने भाजपा के जिला नेतृत्व के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है। एक तरफ वरिष्ठ नेता त्यागपत्र दे रहे हैं, दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर उठ रही आवाज़ें संगठन की साख पर असर डाल रही हैं। अब देखना होगा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन विवादों को सुलझाने और असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को साधने के लिए क्या कदम उठाता है। कुल मिलाकर, सिंगरौली में भाजपा की जिला कार्यकारिणी घोषित होने के बाद से पार्टी लगातार विवादों में घिरती जा रही है। जातीय-सामाजिक संतुलन की अनदेखी, विवादित चेहरों को जिम्मेदारी देना और वरिष्ठ नेताओं की नाराज़गी ने संगठन की एकता और मजबूती पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।
